छत्तीसगढ़ समेत इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ गृहमंत्री अमित शाह की मीटिंग आज, इस विषय पर होगी चर्चा
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नई दिल्ली:10 राज्यों के मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि आज दिल्ली के विज्ञान भवन में वामपंथी उग्रवाद पर होने वाली एक बैठक में हिस्सा लेंगे. यह बैठक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होने जा रही है. गृह मंत्रालय ने बताया कि 2014 के बाद, जब से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई है, माओवादियों से संबंधित घटनाओं में 47 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
दरअसल, गृह मंत्रालय द्वारा यह बैठक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या को तीन साल पहले 100 से घटाकर 70 करने के मद्देनजर हो रही है. नक्सल प्रभावित इलाकों की संख्या में सबसे ज्यादा जहां गिरावट देखी गई है, उनमें बिहार, ओडिशा और झारखंड शामिल हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) रविवार को 10 प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों की सुरक्षा स्थिति पर समीक्षा करेंगे.
नक्सल इलाकों में विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे शाह
अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस बैठक में सभी मुख्यमंत्री भौतिक रुप से भाग लेंगे. इस बैठक में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और केरल के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में गृह मंत्री 10 नक्सल प्रभावित प्रदेशों में सुरक्षा स्थिति और माओवादियों के खिलाफ जारी अभियानों की मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा करेंगे.
शाह नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों, पुलों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे मौजूदा विकास कार्यों की समीक्षा भी कर सकते हैं. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में माओवादी हिंसा में खासी कमी आई है और अब यह समस्या करीब 45 जिलों में व्याप्त है. रविवार को होने वाली बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे.
देश के कुल 90 जिले माओवादी प्रभावित
लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जिस तरह पिछली बार जब उद्धव ठाकरे अपने प्रतिनिधिमंडल लेकर दिल्ली गए थे तो उनकी पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ वन टू वन मीटिंग भी हुई थी, क्या इस बार भी अमित शाह के साथ उद्धव ठाकरे की वैसी ही अकेले में मुलाकात होगी? और अगर मुलाकात हुई तो बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरियों को कम करने का कोई रास्ता निकलेगा? यही वजह है कि उद्धव ठाकरे के इस दौरे पर लोगों की नजरें टिकी हुई हैं.
हालांकि, देश के कुल 90 जिलों को माओवादी प्रभावित माना जाता है और वे मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के तहत आते हैं. नक्सली हिंसा को वामपंथी उग्रवाद भी कहा जाता है. 2019 में 61 जिलों से नक्सली हिंसा की रिपोर्ट आई थी जबकि 2020 में यह संख्या घटकर 45 हो गई. आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2020 के बीच वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न घटनाओं में करीब 380 सुरक्षाकर्मी, 1,000 आम नागरिक और 900 नक्सली मारे गए. इस दौरान करीब 4,200 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया था.