गृह मंत्री अमित शाह का फेक वीडियो मामला: तेलंगाना सीएम को समन, असम से हुई पहली गिरफ्तारी

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Update: 2024-04-29 13:30 GMT
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो के मामले में सोमवार को पहली गिरफ्तारी हुई है. पुलिस ने असम से रीतोम सिंह नामक एक शख्स को गिरफ्तार किया है. इसकी जानकारी असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट करके दी है. इस मामले में कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को तलब किया है. उनको एक मई को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को उन सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के साथ बुलाया है, जिनका वो इस्तेमाल करते हैं. इसके साथ ही फेक वीडियो शेयर करने वाले कुछ कांग्रेसी नेताओं सहित पांच लोगों को भी पुलिस ने तलब किया है. इस मामले में 28 मार्च को दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था. इसके बाद 29 मार्च को बीजेपी की तेलंगाना यूनिट की शिकायत पर स्थानीय पुलिस ने तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के खिलाफ केस दर्ज किया है. गृहमंत्री अमित शाह के आरक्षण खत्म करने संबंधित फर्जी वीडियो को लेकर तीन शिकायतें की गई हैं.
इसमें एक शिकायत भारतीय जनता पाईटी की केंद्रीय यूनिट द्वारा की गई थी. दूसरी शिकायत गृह मंत्रालय की तरफ से की गई थी. इन दोनों शिकायतों के आधार पर दिल्ली पुलिस की साइबर विंग आईएफएसओ यूनिट ने आईपीसी की धारा 153, 153A, 465, 469, 171G और आईटी एक्ट की धारा 66C के तहत केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी थी. इसी के साथ पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स और मेटा से उन सभी अकाउंट्स की डिटेल मांगी थी, जिन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो को अपलोड या शेयर किया था. इस केस को लेकर दिल्ली पुलिस की हाई लेवल मीटिंग हुई थी.
इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ केस...
IPC की धारा 153- दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना
IPC की धारा 153A- धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना
IPC की धारा 465- जालसाजी
IPC की धारा 469- किसी भी पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी
IPC की धारा 171G- चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से गलत बयान प्रकाशित करना
IT एक्ट की धारा 66C- किसी की पहचान की चोरी, धोखधड़ी और बेइमानी
इस मामले में केस दर्ज होने के बाद पुलिस सूत्रों ने बताया, ''हमने जांच के लिए कई टीमें बनाई हैं, जो इस मामले की गहनता से पड़ताल करेंगी. हम अपराधी को बहुत जल्द गिरफ्तार कर लेंगे. हमने ट्विटर (एक्स), मेटा सहित कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजकर जानकारी मांगी है, जहां पर फेक वीडियो को अपलोड या शेयर किया गया है. हम वीडियो के सोर्स और इसके व्यापक प्रसार के लिए जिम्मेदार लोगों दोनों की जांच कर रहे हैं.''
दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में कहा गया है, "ऐसा प्रतीत होता है कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिससे समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने के इरादे से भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है. इससे सार्वजनिक शांति और व्यवस्था के मुद्दों पर असर पड़ने की संभावना है. अनुरोध है कि कृपया कानून के प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कानूनी कार्रवाई करें." इस फेक वीडियो को रविवार को झारखंड कांग्रेस ने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया था.
इसमें लिखा था, ''अमित शाह का चुनावी भाषण वायरल हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार दोबारा बनी तो ओबीसी और एससी/एसटी आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा.' इसके बाद बीजेपी नेता अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस एडिटेड वीडियो वायरल कर रही है, जो पूरी तरह से फर्जी है. इससे बड़े पैमाने पर हिंसा होने की आशंका है. एससी/एसटी और ओबीसी की हिस्सेदारी कम करने के बाद फर्जी वीडियो कई कांग्रेस द्वारा शेयर किया गया है.
बीजेपी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि गृहमंत्री अमित शाह ने एससी/एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षण खत्म करने की बात नहीं की है. यह वीडियो फर्जी है. उन्होंने मूल रूप से कहा था कि सरकार बनते ही बीजेपी मुस्लिम समुदाय को दिए जा रहे असंवैधानिक आरक्षण को हटा देगी. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें देश के विभिन्न हिस्सों से शिकायतें मिल रही हैं. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन सभी शिकायतों पर एफआईआर दर्ज की जाए.
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