हिमाचल 4 साल में बनेगा आत्मनिर्भर, 10 साल में होगा देश का सबसे अमीर राज्य: सीएम

Update: 2023-09-23 09:29 GMT
शिमला। प्रदेश को विकास की दृष्टि से आगे ले जाने के लिए जो कार्य सरकार द्वारा किए जा रहे है, वे 2 वर्ष के भीतर धरातल पर दिखना शुरू हो जाएंगे। इसके साथ ही हिमाचल आगामी 4 साल में आत्मनिर्भर हो जाएगा और 10 वर्ष में प्रदेश देश के सबसे अमीर राज्यों में होगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को नियम-130 के तहत विधायक जीत राम कटवाल की तरफ से लाए गए प्रस्ताव के जवाब में यह बात सदन में कही। सीएम ने कहा कि सरकार युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए सोलर पावर प्लांट लगाने की पॉलिसी लाई है। इसमें युवा अपने घर पर सोलर प्लांट लगाकर आमदनी कर सकेंगे।
सीएम ने कहा कि प्रदेश वासियों को क्वालिटी बिजली मुहैया हो, इसकी व्यवस्था सरकार करने जा रही है। उन्होंने कहा कि बिजली की क्वालिटी सही न होने से बच्चों की आंखों पर गलत असर पड़ता है। ऐसे में अधिकारियों को उचित कदम उठाने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि लो वोल्टेज समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सीएम ने कहा कि लोगों के घरों के ऊपर से गुजरने वाली लाइनों को बदलने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है। अगर किसी ने बिजली की लाइन और खंभा बदलवाना है तो इसकी लागत संबंधित व्यक्ति को देनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सॢदयों में सरकार अक्तूबर से मार्च तक 6 से 7 रुपए प्रति यूनिट बिजली बाहरी राज्यों से खरीदती है, जबकि सरकार 125 यूनिट बिजली लोगों को नि:शुल्क भी दे रही है। सीएम ने कहा कि शिमला में पायलट आधार पर बिजली की तारों को अंडरग्राऊंड किया जा रहा है। इस पर 100 करोड़ का खर्चा आएगा। अगर यहां पर यह सब ठीक रहा तो पूरे प्रदेश में तारों को अंडरग्राऊंड किया जाएगा।
नियम-130 पर लाए प्रस्ताव पर विधायक जीत राम कटवाल ने कहा कि लो वोल्टेज की समस्या से निपटने और घरों के ऊपर से गुजर रही बिजली की तारों को हटाने पर सदन विचार करे। उन्होंने कहा कि बिजली विकास के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि लो वोल्टेज से रोजमर्रा की मशीनें नहीं चल पाती हैं। लोगों के घरों के ऊपर से गुजरने वाली बिजली की तारें भी परेशानी खड़ी कर रही हैं। लोग इन्हें बदलवा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली की तारों को बदलने का 75 प्रतिशत खर्च सरकार वहन करे, ऐसी नीति बनाई जाए। इस प्रस्ताव में विधायक केवल सिंह पठानिया, राजेंद्र राणा, भवानी सिंह पठानिया, मलेंद्र राजन, त्रिलोक जम्वाल, चंद्रशेखर, सुरेश कुमार, भुवनेश्वर गौड़, सुदर्शन बबलू और होशियार सिंह के साथ ही सतपाल सिंह सत्ती ने भी अपने विचार रखे।
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