Kullu. कुल्लू। भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार प्रोत्साहन विभाग ने बर्लिन (जर्मनी) में पांच दिवसीय प्रदर्शनी के लिए लाहुली जुराब और दस्तानों का चयन किया है। यह प्रदर्शनी गत 6 से 10 नवंबर तक इन्वेस्ट इंडिया के तत्त्वावधान में आयोजित की जा रही है, जिसमें देश भर से सात भौगोलिक संकेतक प्रमाणीकृत हस्तशिल्प उत्पादों में से इस अनोखे और प्राचीन हिमालयी हस्तशिल्प को शामिल किया गया है। सेव लाहुल-स्पीति सोसायटी के अथक प्रयासों व मार्गदर्शन और सक्रिय योगदान से इस पारंपरिक धरोहर को 2019 में भौगोलिक संकेतक प्रमाणीकरण मिला था। तब से हिमाचल सरकार और भारत सरकार ने इस हस्तशिल्प को कई हस्तशिल्प मेलों और प्रदर्शनियों के माध्यम से पूरे देश में प्रचारित किया है और इस उत्पाद और इसके कुशल शिल्पकारों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध किया है। विशेष रूप से लाहुली जुराब, जिनके चटख रंगों के ज्यामितीय पैटर्न और डिजाइन, अनंत काल से लाहुल महिलाओं द्वारा संरक्षित और प्रोत्साहित किए गए हैं।
इस हस्तशिल्प ने 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र में काम करने वाले जर्मन मोरावियन मिशनरियों से विभिन्न बुनाई तकनीकों और डिजाइन इनपुट को शामिल करके अपने गतिशील स्वरूप को बनाए रखा है। इस अनूठे लोक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पर्याप्त ब्रांडिंग के अभाव में पहचान नहीं मिल पाई थी, लेकिन भौगोलिक संकेतक प्रमाणीकरण के साथ इसे अब अपनी सही पहचान मिली है। सेव लाहुल-स्पीति सोसाइटी के अध्यक्ष बीएस राणा ने इन्वेस्ट इंडिया का आभार व्यक्त करते हुए चयनित प्रतिभागी उद्यम, गर्शा लूम्स के मालिक युवा उद्यमी तंजिन बोध को बधाई दी और कहा कि यह मंच लाहुल-स्पीति की महिला शिल्पकारों को निश्चित रूप से लाभ पहुंचाएगा और वैश्विक बाजार में उनकी अमूल्य जनजातीय धरोहर की पहचान स्थापित करेगा। वहीं, जर्मनी में प्रदर्शनी में भाग लेने पहुंचे तजिंन का कहना है कि जर्मनी के नागरिकों को लाहुली जुराबें व दस्तानें काफी पसंद आ रहे हैं। दो दिनों के भीतर की उन्हें काफी अच्छा रिस्पोंस मिला है। उन्होंने कहा कि उन्हें भी गर्व महसूस हो रहा है कि वह लाहुल का हस्तशिल्प विदेश में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।