हाईकोर्ट ने किया बरी, 100 साल की महिला को बनाया था हवस का शिकार

आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

Update: 2024-08-21 03:13 GMT
नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 32 साल के एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। उसे 2017 में मेरठ में अपने आवास पर 100 साल की महिला के साथ बलात्कार और हत्या का प्रयास करने के लिए दोषी ठहराया गया था। सत्र न्यायालय ने 2020 में व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। महिला के पोते ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि 29 अक्टूबर 2017 की रात को मदद के लिए उसकी चीखें सुनने के बाद वह और उसके परिवार के सदस्य उसके कमरे में पहुंचे और अंकित पुनिया को भागते हुए देखा।
शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उस समय पिछले एक साल से बिस्तर पर पड़ी महिला की तबीयत खराब थी और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां अगले दिन उसकी मौत हो गई। पुनिया के खिलाफ हत्या, बलात्कार का प्रयास और घर में जबरन घुसने सहित कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया था।
चूंकि पीड़िता दलित थी इसलिए पुलिस ने उसके खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया। पुनिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और 20 नवंबर 2020 को मेरठ की एक अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बाद में उसने आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी।
हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, अपील की सुनवाई के दौरान पुनिया के वकील ने तर्क दिया कि महिला के पोते ने ऋण चुकाने से बचने और सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया था। वकील ने यह भी बताया कि मामले में कोई स्वतंत्र गवाह या प्रत्यक्षदर्शी नहीं था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया है कि घटना के समय वह अपनी पत्नी के साथ गाजियाबाद में रह रहा था। इसका मतलब है कि वह प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। इसलिए शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी जो गवाह के रूप में भी पेश हुई थी, उनके बयानों को अविश्वसनीय माना गया। कोर्ट ने दोषी को आजाद कर दिया।
Tags:    

Similar News

-->