सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र सरकार को नोटिस जारी, जानिए क्या है मांग

Update: 2020-10-13 10:22 GMT

फाइल फोटो 

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पर लगाम की व्यवस्था बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. कोर्ट ने आज इस मसले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. कानून के दो छात्रों की याचिका में फ़र्ज़ी प्रोफाइल पर रोक, आयु के आधार पर सोशल मीडिया में पहुंच, प्लेटफॉर्म की जवाबदेही तय करने जैसी मांग की गई है.

पुणे के एक लॉ कॉलेज के छात्रों स्कंद वाजपेयी और और अभ्युदय मिश्रा की याचिका में सोशल मीडिया को लेकर सरकारी नियम स्पष्ट न होने का मसला उठाया गया है. बताया गया है कि इसका लाभ उठा कर तमाम अवैध और अनैतिक गतिविधियां सोशल मीडिया पर चल रही हैं. मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही भी तय नहीं की गई है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना वेरिफिकेशन की व्यवस्था के प्रोफाइल बनाने की छूट ने फ़र्ज़ी और गुमनाम प्रोफाइल को बढ़ावा दिया है. लोग कई बार किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से भी प्रोफाइल बना लेते हैं. कई तरह का अवैध व्यापार भी सोशल मीडिया के ज़रिए चलाया जा रहा है. अश्लील या आपत्तिजनक सामग्री पर कार्रवाई की मौजूदा कानूनी व्यवस्था बदलते दौर में नाकाफी साबित हो रही है.

याचिका में मांग की गई है कि;

* दूसरे के नाम या तस्वीर के साथ प्रोफाइल बनाने को कानूनन अपराध घोषित किया जाए.

* फ़र्ज़ी और गुमनाम प्रोफाइल पर अंकुश लगे. प्रोफाइल वेरिफिकेशन की व्यवस्था बनाये जाए.

* आपत्तिजनक सामग्री को हटाने और दोबारा अपलोड होने से रोकने की व्यवस्था बने. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की ज़िम्मेदारी तय हो.

* राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव कर बच्चों को उनकी आयु के हिसाब से ज़रूरी सेक्स शिक्षा और ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जाए.

* उम्र के हिसाब से ही सोशल मीडिया में पहुंच की व्यवस्था बने. इससे बच्चों को गलत सामग्री से दूर रखा जा सकेगा.

* सरकार को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इन्टरमीडियरी गाइडलाइंस) रूल्स 2018 को नोटिफाई करने और लागू करने के लिए कहा जाए.


आज यह मामला चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच में लगा. जजों ने मसले को अहम मानते हुए तुरंत नोटिस जारी कर दिया. मामले पर दिसंबर में अगली सुनवाई की उम्मीद है.

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