'AAP' की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई, दिल्ली सरकार, केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार द्वारा गणेश चतुर्थी के आयोजन और प्रसारण के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार व चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Update: 2021-09-20 16:01 GMT

उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार द्वारा गणेश चतुर्थी के आयोजन और प्रसारण के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार व चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में सार्वजनिक रूप से आयोजन करने पर आम आदमी पार्टी (आप) की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की खंडपीठ ने सभी पक्षों को मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर तय की है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा ने तर्क दिया है कि चूंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए कोई भी सरकार कोई धार्मिक कार्य नहीं कर सकती है। हालांकि, हर व्यक्ति अपनी पसंद के किसी भी धर्म को अपनाने व उसका पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
यह संविधान का स्पष्ट उल्लंघन
शर्मा ने तर्क दिया कि सरकारों द्वारा धार्मिक आयोजनों के संचालन की संविधान द्वारा अनुमति नहीं है। इस संबंध में उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' को शामिल करने पर भरोसा जताया है। दिल्ली सरकार द्वारा इस साल गणेश पूजा के आयोजन और प्रसारण का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा यह आम आदमी पार्टी के साथ दिल्ली सरकार का एक संयुक्त आयोजन था। यह संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है। ऐसे में राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया जाए।
कानून का कोई उल्लंघन नहीं
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने तर्क दिया कि इस साल गणेश चतुर्थी समारोह का आयोजन और प्रसारण जनहित में किया गया, ताकि कोविड-19 महामारी के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा इसका राजकोष के पैसे से कोई लेना-देना नहीं है। किसी को कुछ भी प्रसारित करने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा। किसी को भी किसी भी तरह की कोई सब्सिडी नहीं दी गई है। कानून का कोई उल्लंघन नहीं है। यह सुनिश्चित करना राज्य और केंद्र का गंभीर कर्तव्य है कि लोग धर्मों के, उनके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा की जाए। मेहरा ने तर्क दिया कि शर्मा की याचिका राजनीति से प्रेरित है और इसे जुर्माने के साथ खारिज की जाए।
दबाव के आधार पर आयोग को राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का अधिकार नहीं
वहीं चुनाव आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि शर्मा के दबाव के आधार पर आयोग को राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 के तहत एक बार पंजीकृत होने के बाद किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने के लिए बहुत सीमित आधार हैं।
शर्मा ने पहले भी गणेश चतुर्थी से कुछ दिन पहले इसी तरह की याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि याचिका बिना तथ्यों के दायर की गई है।
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