खुद को कंपनी का डायरेक्टर बताकर कर रहा था युवकों से ठगी, यूपी से आरोपी गिरफ्तार
बड़ी खबर
नई दिल्ली। खुद को जानी मानी कंपनी का डायरेक्टर बताकर युवकों को नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी करने वाले एक ठग को नॉर्थ वेस्ट जिला की साइबर थाना पुलिस को गिरफ्तार किया है। आरोपी पिछले आठ महीने में पचास से ज्यादा युवकों से ठगी कर चुका था। आरोपी की पहचान सचिन ढाका के रूप में हुई है। आरोपी के कब्जे से मोबाइल फोन,पांच विजिटिंग कार्ड और दो पहचान पत्र भी जब्त किये। आरोपी ने पीडि़तों से सत्यापन शुल्क, फाइल प्रोसेसिंग, सुरक्षा जमा और फर्जी नौकरी का पत्र देकर लाखों रुपये ठगे थे। जिला पुलिस उपायुक्त जितेन्द्र कुमार मीणा ने बताया कि बीते 27 फरवरी को साइबर थाना पुलिस को एक शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता सचिन कुमार ने बताया कि वह एनएसपी कॉम्प्लेक्स, सुभाष प्लेस में एक एग्रो कंपनी में महाप्रबंधक हैं। उसने आरोप लगाया कि हाल ही में कई पीडि़तों ने उनकी कंपनी से संपर्क किया कि उनकी कंपनी में नौकरी देने के बहाने उनके साथ धोखाधड़ी की गई। आरोप लगाया कि कंपनी के निदेशक सचिन ढाका हैं,जिन्होंने उनसे ऑनलाईन संपर्क कर नौकरी देने का भरोसा दिया और पैसे भी लिये थे।
सचिन ने उनका ऑनलाईन इंटरव्यू भी लिया था। शिकायतकर्ता ने कुछ ऐसे पीडि़तों की डिटेल भी दी। जिन्होंने उनकी कंपनी को सूचना दी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सचिन ढाका नामक एक अज्ञात व्यक्ति कंपनी के निदेशक के रूप में झूठा दावा कर रहा था। पुलिस ने मामला दर्ज किया। एसीपी पंकज सिंह के निर्देशन में एसएचओ विजेन्द्र की देखरेख में एसआई विनोद, एएसआई शाहिर,हेड कांस्टेबल मोहन लाल और मनीष को आरोपी को पकडऩे का जिम्मा सौंपा गया। पुलिस टीम ने पीडि़तों से मिलकर उनसे आरोपी का फोन नंबर और बैंक खाते की डिटेल ली। जिसपर जांच करते हुए पुलिस टीम ने गाजियाबाद, यूपी से सचिन को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ करने पर पता चला कि वह आलीशान जीवनशैली जीने के खर्चों को पूरा करने के लिए आसान पैसा कमाना चाहता था। इसके लिये उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पीडि़तों/नौकरी चाहने वालों की डिटेल ली। जिनसे संपर्क करके उसने खुद को कंपनी का निदेशक बताया। वह नौकरी चाहने वाले पीडि़तों का ऑनलाइन इंटरव्यू भी लेता था और उन्हें कंपनी में नौकरी के लिए ऑनलाइन ऑफर लेटर भी देता था। इस प्रक्रिया के दौरान, वह पीडि़तों से विभिन्न कारणों जैसे सत्यापन शुल्क, फ़ाइल प्रसंस्करण शुल्क, सुरक्षा जमा आदि के लिए पैसे लेता था।