ज्ञानवापी केस: याचिकाकर्ताओं का लिफाफा स्वीकारने से वाराणसी कोर्ट का इनकार
नई दिल्ली: ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक करने के मामले की जांच से संबंधित प्रार्थना पत्र अदालत ने स्वीकार कर लिया है। वादी पक्ष की ओर से वीडियो लीक की जांच की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र दिया गया है। वहीं, बंद लिफाफे में मिली सर्वे रिपोर्ट और वीडियो अदालत में सौंपने के लिए भी याचिका दी गई लेकिन अस्वीकार कर दी गई है। दोनों मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।
सोमवार की शाम अदालत ने शपथ पत्र के साथ हिन्दू पत्र की चार वादी महिलाओं को सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट और सर्वे का वीडियो दिया था। लिफाफा सौंपने के कुछ देर बाद ही वीडियो वायरल हो गया और कई चैनलों पर चलने गया। इससे आहत हिन्दू पक्ष की महिलाओं ने सील बंद लिफाफ अदालत में सौंपने और पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र अदालत में दिया।
वादी राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौर की तरफ से जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया। अदालत ने जांच की मांग वाले प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए 4 जुलाई को सुनवाई की तिथि तय कर दी है। वहीं, वीडियो लीक होने के कारण लिफाफा वापस अदालत में सौंपने की मांग अदालत ने स्वीकार नहीं की है।
हिन्दू पक्ष के साथ ही अन्य पक्षों ने भी वीडियो लीक होने पर आपत्ति दर्ज कराई है। विश्व वैदिक हिंदू सनातन संघ ने भी इस पर आपत्ति जताई है। प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। उसके अधिवक्ताओं ने भी अदालत में आपत्ति दर्ज कराने के साथ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने वीडियो दिखाने वालों पर भी कार्रवाई की मांग की है।
श्रृंगार गौरी के प्रकरण में पक्षकार बनने के लिए निखिल उपाध्याय व रुद्रविक्रम विक्रम सिंह की ओर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय ने जिला जज की अदालत में प्रार्थनापत्र दिया है।