गुजरात के किसानों ने उत्पादन में गिरावट के बावजूद जीरा और अरंडी के बीज पर दांव लगाया
अहमदाबाद (आईएएनएस)| गुजरात के किसानों ने उत्पादन में गिरावट के बावजूद जीरा और अरंडी के बीज पर दांव लगाया है। कमोडिटी बाजार में नकदी फसलों जीरा और अरंडी का भविष्य काफी अच्छा रहने की उम्मीद है जिससे किसानों को अच्छा फायदा होगा।
बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि जीरे की आपूर्ति कम रहने की संभावना है, जिससे कीमतों में तेजी आएगी। हालांकि अरंडी के बीज का उत्पादन अधिक होने की संभावना है, फिर भी इससे कीमत स्थिर रहेगी क्योंकि इस साल अरंडी का स्टॉक शून्य है।
उंझा कृषि उपज समिति के उपाध्यक्ष अरविंद पटेल ने आईएएनएस को बताया, गुजरात और राजस्थान के किसानों ने 8,60,000 हेक्टेयर भूमि पर जीरे की खेती की है, सर्दियों में 1,50,000 हेक्टेयर में जीरे की फसल को नुकसान होने की संभावना है, इसलिए कुल उत्पादन एक लाख बैग कम होने का अुनमान हैं। आभासी आंकड़े में लगभग 5500 मीट्रिक टन कम होने का अनुमान है। कुल उत्पादन लगभग 3 से 3.30 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है।
गुरुवार को मुहूर्त ट्रेडिंग में गोंडल बाजार में एक किसान का 20 किलो जीरा 36 हजार रुपये में बिका। यही जीरा शुक्रवार को उंझा पहुंचा तो 20 किलो 51 हजार रुपये में बिका। पटेल ने कहा कि अगर उत्पादन अनुमान पर खरा उतरता है तो जीरे का बाजार भाव 20 किलोग्राम 6000 रुपये से 6300 रुपये रहने की संभावना है। अगर उत्पादन का अनुमान गलत साबित होता है और उत्पादन अच्छा होता है तो जीरे का भाव गिरकर 5000 रुपए प्रति 20 किलो हो जाएगा। पटेल के अनुसार, पूरा साल 2023 जीरा के लिए उत्साहजनक रहने वाला है, लेकिन फरवरी से अप्रैल तक इसमें छोटी-मोटी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
एक और नकदी फसल अरंडी है, जहां किसानों को इस साल अच्छी कीमत मिलेगी। इस सीजन में अरंडी के भाव 1200 से 1500 रुपये प्रति 20 किलोग्राम रहने की उम्मीद है। पिछले साल 20 किलो के दाम 1100 रुपये से 1200 रुपये के बीच थे। इस सीजन में बाजार को 19 लाख मीट्रिक टन की उम्मीद है जबकि घरेलू बाजार में मांग लगभग 8 लाख मीट्रिक टन है।
गोकुल एग्री इंटरनेशनल लिमिटेड के निदेशक विनोद राजपूत ने कहा कि उत्पादन अधिक है, लेकिन इसका कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि कई किसान अपनी फसल नहीं बेचते हैं, इसलिए यह अरंडी के बीज की कीमत को ऊंचा रखते हुए मांग और आपूर्ति को संतुलित करता है। अरावली कैस्टर प्रोडक्ट्स के निदेशक मेहुल देसाई की भी यही उम्मीद है। देसाई भी उम्मीद कर रहे हैं कि 2022 की तरह 2023 में भी मांग और आपूर्ति सुचारू रहेगी और कीमतें स्थिर रहेंगी।