विपक्षी नेताओं को डराने के लिए जीएसटीएन को पीएमएलए के तहत लाया गया : कांग्रेस
यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा : "जीएसटीएन को पीएमएलए के तहत लाना मोदी सरकार द्वारा कर आतंक को बढ़ावा देने और प्रचार करने का एक तरीका है। बाधा, मजबूरी और जबरदस्ती की इनकी त्रिपक्षीय रणनीति है। भाजपा नए कानून के जरिये भारत में व्यापारिक समुदाय पर कहर बरपायेगी।''उन्होंने कहा, ''आम चुनाव से ठीक पहले विपक्षी नेताओं को डराने, धमकाने और जेल में डालने की यह बीजेपी की एक और रणनीति है।''
उन्होंने कहा कि सरकार ने 7 जुलाई की अधिसूचना के अनुसार वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को पीएमएलए के तहत ला दिया है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने कहा, "वित्त मंत्रालय की अधिसूचना ने 2006 की पिछली अधिसूचना में संशोधन किया है जो जीएसटीएन, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों के बीच जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करेगी। परिवर्तन पीएमएलए की धारा 66 के तहत प्रावधानों के लिए किए गए हैं, जो जानकारी के प्रकटीकरण का प्रावधान करता है।“
उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल नवंबर में सरकार ने 15 एजेंसियों को इस सूची में जोड़ा था। सिंघवी ने कहा, "जीएसटी धोखाधड़ी और फर्जी पंजीकरण के बढ़ते मामलों के बीच जीएसटीएन को मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत शामिल करने का कदम उठाया गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग प्रावधानों के तहत, कर अधिकारियों को धोखाधड़ी के मामले में मूल लाभार्थी का पता लगाने की अधिक शक्ति मिलेगी।"
सरकार के इस कदम की कमियां गिनाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मंगलवार को 50वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में कम से कम नौ राज्यों ने जीएसटीएन को पीएमएलए के दायरे में लाने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया।