दादा से बात नहीं कर पाता था पोता, बना डाली ये खास ऐप

Update: 2021-09-08 16:22 GMT

अपने बधिर दादा से बातें करने के लिए 11वीं के छात्र ने कमाल कर दिखाया है. अपनों की बात को सही न समझ पाने की बात का मलाल इस बच्चे के दिमाग मे ऐसा चढ़ा कि इसने एक ऐसी एप्लीकेशन बना डाली ,जो भारत के मूक बधिर समुदाय के लिए अब वरदान साबित होगी. ये ऐप पांच भारतीय भाषाओं में वीडियो संचार के लिए रि‍यल टाइम स्पीच कैप्शनिंग उपलब्ध कराने वाला पहला ऐप है जिसका फायदा अब लाखों लोग उठा सकते हैं जो सुन या बोल नहीं पाते. ये ऐप दिल्ली पब्लिक स्कूल, वसंत कुंज दिल्ली के छात्र शिवांश कुलश्रेष्ठ ने बनाई है. इसके पीछे की कहानी कुछ इस तरह है कि साल 2020 के शुरुआत में उनके दादा इलाज के लिए जयपुर चले गए थे. उनको ठीक से सुनाई नहीं देता था जिसका इलाज कराने वो जयपुर चले गए थे. शिवांग को उस समय उनसे साथ बात करने में कठिनाई हो रही थी. ज़ूम, गूगल मीट्स या स्काइप जैसे आधुनिक वीडियो-एप्लिकेशन ओर वेबसाइट में से किसी ने भी भारतीय भाषाओं के लिए कैप्शनिंग नहीं थी, इससे वो अपने दादा से अपनी बात नहीं कर पा रहे थे.

युवा छात्र ने इसे एक उल्लेखनीय अंतर के रूप में पहचाना और अपने दादा के साथ बात करने के लिए भारतीय भाषाओं के बोलने वालों के लिए लिंगोकैप बनाया. यह सेवा बोलने और सुनने में अक्षम भारतीयों के लिए एक अनूठा माध्यम प्रदान करती है, जिनकी संख्या लगभग 75 लाख या उससे अधिक है.

शिवांश कहते हैं कि ये मेरे लिए बड़ा मुश्किल दौर था जब मैं अपने दादा जी से बात नहीं कर पाता था. कुछ समझ नहीं आता था कि कैसे और क्या किया जाए. फिर मैंने ये फैसला लिया कि App बनाई जाए. शिवांश की इस लिंगोकैप को सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने 26 अगस्त 2021 को 11वीं कक्षा के छात्र शिवांश कुलश्रेष्ठ द्वारा निर्मित एक संचार पोर्टल लिंगोकैप (www.lingocap.in) लॉन्च किया. इसमें ऑनलाइन पाठ्यक्रम लेने के माध्यम से कैप्शनिंग और वीडियो संचार सॉफ्टवेयर स्थापित करने की मूल बातें सीखीं और अपने सपने को आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक बेहतरी के लिए एक अभियान की शुरुआत की.

संचार पोर्टल भारतीय भाषाओं में लाइव स्पीच कैप्शनिंग और एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म के रूप में सभी सुविधाएं जैसे ब्रेकआउट रूम, स्क्रीन शेयरिंग, व्हाइट बोर्ड संचार के साथ बाकी एप्लीकेशन से अलग और बेहतर बनाती है. लिंगोकैप ने अपने 1,350+ उपयोगकर्ताओं पर बहुत कम समय में काफी प्रभाव डाला है, जिसमें बधिर छात्र और व्यक्ति और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय लॉन्च के बाद संख्या बढ़ने की उम्मीद है. मई 2020 से शिवांश ने बधिर स्कूलों और Ngo के साथ भी काम किया है. अभी एप्लीकेशन के अपग्रेड करने की भी तैयारी चल रही है. भविष्य में एंड्रॉएड और आईओएस के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने की योजना है.

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