शहर में राजकीय मेडिकल कॉलेज हुआ प्रारम्भ, 60 विद्यार्थियों ने लिया प्रवेश
हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ राजस्थान मेडिकल एजूकेशन सोसायटी के निर्देश पर सोमवार से हनुमानगढ़ का राजकीय मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया है। पहले दिन 60 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। मेडिकल कॉलेज कमेटी के सदस्यों को उम्मीद है कि तीसरी काउंसलिंग के बाद सभी सीटों पर विद्यार्थियों का एडमिशन हो जाएगा। जिन 60 विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है, इनमें कई विद्यार्थियों का मैनेजमेंट कोटा से एडमिशन हुआ है। हालांकि अभी तक राजमेस की ओर से इसकी जानकारी मेडिकल कॉलेज की कमेटी को नहीं भेजी गई है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान मेडिकल एजूकेशन सोसायटी की ओर से अभी तक 88 में से 19 प्रोफेसर लगाए थे। इनमें से केवल 9 जनों ने ज्वाइन किया था। वर्तमान में आठ प्रोफेसर ही कार्यरत हैं। हनुमानगढ़ में 325 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया है। मेडिकल कॉलेज में बॉयज व गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था है। इन होस्टल में 250 बॉयज व 250 गलर्स के रहने की व्यवस्था के लिए भवन तैयार हो चुका है। होस्टल में कुल 12 जनों ने एडमिशन लिया है। इनमें से 8 बॉयज हैं व चार गर्ल्स हैं। होस्टल के कमरों की सामग्री व रसोई का सामान चूरू मेडिकल कॉलेज से आना था। लेकिन अभी तक वह भी नहीं पहुंचा है।
मेडिकल कॉलेज की कमेटी ने अपने स्तर पर व्यवस्था की है। हनुमानगढ़ मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में सौ सीटों पर दाखिला होना है। इसी मेडिकल कॉलेज परिसर में 105 करोड़ की लागत 300 बेड का अस्पताल भी निर्माणाधीन है। माना जा रहा था कि मेडिकल कॉलेज हनुमानगढ़ में स्पेशलिटी यानी कि (एमडी) और सुपरस्पेशलिटी यानी कि डॉक्टर ऑफ मेडिसन (डीएम) या फिर एमसीएच किए हुए चिकित्सक की सेवाएं मिलेंगी। इससे रोगियों को इलाज के लिए जयपुर, दिल्ली या फिर लुधियाना नहीं जाना होगा। लेकिन मेडिकल कॉलेज हनुमानगढ़ में सुपर स्पेशलिटी के पद अभी तक स्वीकृत नहीं हुए है। स्पेशलिटी के 88 पद स्वीकृत हैं। इनमें जिला अस्पताल के चिकित्सकों को भी शामिल करने की बात कही जा रही है। हालांकि राजमेस ने अभी तक इन पदों को लेकर स्पष्टीकरण जारी नहीं किया। नवां बाइपास पर मेडिकल कॉलेज की घोषणा के दौरान आसपास के इलाकों में भूमि के दामों में इजाफा हो गया। प्रोपर्टी से जुड़े व्यापारियों की माने तो मेडिकल कॉलेज के आसपास जितनी तेजी से भूमि के दाम बढ़े थे, उतनी तेजी से गिरेंगे भी। दरअसल मेडिकल कॉलेज को पटरी पर आने में कई साल लगेंगे। पहला बैच फाइनल ईयर में पहुंचेगा तब जाकर मेडिकल कॉलेज के आसपास भीड़ भाड़ रहने लगेगी। इसमें करीब 5 साल लगेंगे।