सरकार 'बौद्ध सर्किट परियोजना' पर फोकस बढ़ा रही, विदेश पर्यटकों को लुभाने के लिए कई योजनाएं की शुरू
सरकार बौद्ध सर्किट परियोजना (Buddhist Circuit) पर फोकस बढ़ा रही है.
सरकार बौद्ध सर्किट परियोजना (Buddhist Circuit) पर फोकस बढ़ा रही है. 2016 में बौद्ध सर्किट परियोजना की घोषणा की गई थी. इसके बाद कई स्कीम्स के तहत परियोजना के लिए 343 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, जिसमें से 278 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं. पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं. ये परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं, जिनमें से अधिकांश को 2022-23 की समय सीमा में पूरा करने का लक्ष्य है.
बिहार और उत्तर प्रदेश में बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर, कौशाम्बी, संकिसा और कपिलवस्तु के स्थलों को और विकसित करने की योजना है. इन स्थलों पर फिलहाल 6 फीसदी विदेशी पर्यटक आते हैं. इनमें सबसे ज्यादा पर्यटक सारनाथ और बोधगया में आते हैं. बोधगया में एक सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण भी चल रहा है.
श्रावस्ती, कुशीनगर और कपिलवस्तु के उत्तर प्रदेश बौद्ध सर्किट के तहत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए परियोजनाएं शुरू की गई हैं जो 2021-22 में पूरी हो जाएंगी. वहीं 9.5 करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं पहली वाराणसी में, धमेक स्तूप में एक साउंड एंड लाइट शो और दूसरी सारनाथ में एक बुद्ध थीम पार्क, पहले ही पूरी हो चुकी हैं.
मंत्रालय क्षमता निर्माण पर भी काम कर रहा है, जिसमें थाई, जापानी, वियतनामी और चीनी भाषाओं में भाषाई पर्यटक सुविधाकर्ता प्रशिक्षण शामिल है. 2018 से 2020 के बीच इन भाषाओं में 525 लोगों को ट्रेनिंग दी गई है और 2020 और 2023 के बीच 600 और लोगों को ट्रेन किया जाएगा. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया के 97 प्रतिशत बौद्ध अकेले दक्षिण पूर्व एशिया में केंद्रित हैं.
अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी में सुधार करने की भी योजना
बौद्ध सर्किट में चार अंतरराष्ट्रीय और दो घरेलू हवाई अड्डे हैं, जबकि दो और पाइपलाइन में हैं. उड़ान योजना के तहत हेलीकॉप्टर सेवाओं को विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी में सुधार करने की भी योजना है. विशेष बौद्ध सर्किट ट्रेन के अलावा गया से नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और वाराणसी के लिए कुल 88 जोड़ी ट्रेनों को जोड़ा गया है.
पर्यटन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "यह आश्चर्य की बात है कि बौद्ध धर्म भारत में उत्पन्न हुआ और आठ प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में से सात भारत में हैं, लेकिन फिर भी हमारे देश को दुनिया में बौद्ध तीर्थयात्रियों का एक प्रतिशत भी नहीं मिलता है." इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को बौद्ध धर्म से संबंधित पर्यटकों का एक बड़ा हिस्सा मिल रहा है, जबकि भारत पीछे है." उन्होंने कहा, " हम विश्व स्तरीय सुविधाओं की पेशकश करने जा रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा पर्यटक भारत आएंगे और इससे राजस्व और रोजगार सृजन में भी जबरदस्त इजाफा होगा."