श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की शांत वादियां 22 अप्रैल की शाम एक बार फिर टारगेट किलिंग की वारदात से दहली। राजौरी जिले में मस्जिद से बाहर निकल रहे सरकारी कर्मचारी को हमलावरों ने गोलियों से भून दिया। मरने वाले की पहचान 40 साल के मोहम्मद रजाक के रूप में हुई है। आतंकियों ने 20 साल पहले उसके पिता को मार डाला था। इस बार बेटा दहशतगर्दों का शिकार हुआ है। कश्मीर में उसके घर में मातम पसरा हुआ है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने जम्मू कश्मीर पुलिस के हवाले से बताया कि रजाक का भाई प्रादेशिक सेना में कार्यरत है। लोकसभा चुनाव के बीच घाटी में दो सप्ताह के भीतर तीसरे हमले ने इलाके के लोगों के बीच दहशत बढ़ा दी है। अनंतनाग में इस वक्त चुनाव प्रचार जोरों पर है। यहां 7 मई को वोट डाले जाएंगे। सोमवार शाम रजाक को जब गोली लगी तो तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। घटना शादरा शरीफ इलाके की है। वारदात के बाद सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू करते हुए तेजी से पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है। रजाक के परिवार ने घाटी में दूसरी बार टारगेट किलिंग का दुख झेला है। 20 साल पहले उसके पिता मोहम्मद अकबर की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
मोहम्मद रजाक के घर मातम पसरा हुआ है। रजाक समाज कल्याण विभाग में कार्यरत था। रजाक की हत्या पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा, “…दस दिनों से भी कम समय में यह इस तरह की तीसरी हत्या है। शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं।” वहीं, कांग्रेस ने घाटी में आतंकी वारदातों के मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधा।