सरकार से मिली मंजूरी : सीडीएस जनरल बिपिन रावत को आधिकारिक यात्रा का निमंत्रण भेजेगी नेपाली सेना

नेपाल की सेना (Nepal Army) भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) को जल्द ही आधिकारिक यात्रा के लिए आमंत्रित करेगी

Update: 2021-04-29 17:55 GMT

नेपाल की सेना (Nepal Army) भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) को जल्द ही आधिकारिक यात्रा के लिए आमंत्रित करेगी. इस बात की जानकारी सूत्रों ने दी है. नेपाली सेना के मुख्यालय ने बताया है कि नेपाल सरकार ने इस यात्रा को लेकर अनुमति दे दी है. सेना के जनसंपर्क विभाग ने कहा, नेपाल के मंत्रीमंडल ने जनरल बिपिन रावत को आधिकारिक यात्रा पर बुलाने के नेपाली सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

नेपाल सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल संतोष बल्लव पौडियाल (Santosh Ballav Poudyal) ने कहा कि दोनों देश इस यात्रा की तारीख पर मिलकर काम कर रहे हैं. बिपिन रावत को ये निमंत्रण कूटनीतिक या फिर सैन्य माध्यम से भेजा जाएगा. उन्होंने बताया, ये यात्रा नेपाल और भारत की सेना के उच्च अधिकारियों की नियमित तौर पर होने वाली यात्राओं का ही हिस्सा है. इससे पहले जब जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख थे, तब भी उन्होंने दो बार नेपाल की यात्रा की थी. वहीं भारत के मौजूदा सेना प्रमुख एमएम नरवणे भी बीते साल नवंबर महीने में नेपाल की यात्रा के लिए गए थे.
कब शुरु हुआ था तनाव?
भारत और नेपाल के रिश्तों में उस समय खटास आ गई थी, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बीते साल 8 मई को उत्तराखंड में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक सड़क का उद्घाटन किया था. 80 किलोमीटर लंबी ये सड़क लिपुलेख पास को धारचूला से जोड़ती है. नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है (India Nepal Conflict Reason). इसके कुछ दिन बाद नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया, जिसमें उसने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधरा को अपने क्षेत्र के तौर पर दिखाया था.
नेपाली संसद ने नक्शे को दी थी मंजूरी
वहीं भारत ने 2019 के नवंबर महीने में एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें इन तीनों इलाकों को उसने अपने क्षेत्र में दिखाया है. नेपाल के नया नक्शा जारी करने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और इसे 'एकतरफा गतिविधि' बताया था. साथ ही काठमांडू को आगाह किया था कि इस तरह के क्षेत्रीय दावों को स्वीकार नहीं किया जाएगा (India Nepal Tensions). फिर जून महीने में नेपाल की संसद ने देश के एक नए नक्शे को मंजूरी दी, जिसमें उन क्षेत्रों को दिखाया गया है, जो भारत के हिस्से में आते हैं. इसके जवाब में भारत ने कहा था कि नेपाल के इस तरह के कदम बातचीत के माध्यम से सीमा मुद्दों को हल करने की दोनों देशों के बीच की समझ का उल्लंघन कर रहे हैं.


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