बड़ा बदलाव! स्‍कूल बैग का वजन होगा कम, होमवर्क को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने दिया ये सुझाव

छोटे-छोटे स्कूली छात्रों के भारी बैग को लेकर अक्सर विवाद होता रहा है. इस विवाद को अब केंद्र सरकार (Central Govt) ने खत्म करने की कोशिश की है.

Update: 2020-12-09 06:49 GMT

फाइल फोटो 

School Bag Policy 2020: शिक्षा मंत्रालय ने नई स्‍कूल बैग पॉलिसी के तहत अब स्‍कूल बैग का वज़न स्‍टूडेंट्स के वज़न के 10 प्रतिशत पर निश्चित कर दिया है. इसके अलावा कई अन्‍य नियम भी जारी किए गए हैं जिनके लागू होने के साथ स्‍कूली बच्‍चों की पढ़ाई में बड़े स्‍तर पर बदलाव नज़र आएंगे. नई पॉलिसी के मुताबिक, कक्षा 2 तक के छात्रों के लिए कोई होमवर्क नहीं होगा. छोटी क्‍लासेज़ के बच्‍चों को केवल स्‍कूल में ही पढ़ाई कराई जाएगी. इसके अलावा कक्षा 1 से 10वीं तक के छात्रों के लिए स्‍कूल बैग का वज़न भी, छात्र के वज़न के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. स्कूलों से कहा गया है कि वे स्कूल परिसर में डिजिटल वेटिंग मशीन रखें और स्कूल बैग के वजन को नियमित रूप से चेक करें.

इसके अलावा, स्कूलों में लॉकर और डिजिटल वेटिंग मशीन उपलब्ध कराना, परिसर में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना और ट्रॉली स्‍कूल बैग को प्रतिबंधित करना भी स्कूल बैग पर अपनी नई नीति में शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई सिफारिशों में से हैं. नई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति (NEP) की सिफारिशों के अनुसार, इस क्षेत्र में किए गए शोध अध्ययनों के आधार पर, स्कूल बैग के मानक वजन के बारे में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की सिफारिशों के तहत यह फैसला लिया गया है. इसी के चलते स्‍कूलों में ट्रॉली बैग के इस्‍तेमाल पर भी प्रतिबंध रहेगा.
पॉलिसी डॉक्‍यूमेंट में कहा गया, "स्कूलबाग में उचित कम्पार्टमेंट होने चाहिए तथा उसका वज़न भी बेहद कम होना चाहिए. स्‍कूलबैग में दो गद्देदार और एकबराबर पट्टियाँ हों जो दोनों कंधों पर चौकोर फिट हो सकें. पहिए वाले स्‍कूल बैग को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह सीढ़ियों पर चढ़ते समय बच्चों को चोट पहुँचा सकता है. बच्चों के लिए किसी किताब का चयन करने के लिए, किताब का वज़न भी जांचा जाना चाहिए. प्रत्येक किताब का वजन प्रकाशकों द्वारा प्रति वर्ग मीटर (gsm) के साथ किताब पर ही छपा होना चाहिए."
नीति में विभिन्न स्तरों पर छात्रों के लिए होमवर्क के बारे में भी गाइडलाइंस जारी की हैं. इसके तहत कक्षा 2 तक के बच्चों के लिए कोई होमवर्क नहीं होगा और कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए हर दिन अधिकतम दो घंटे का होमवर्क दिया जा सकता है. शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि नए नियमों के साथ छात्रों में थ्‍योरिटिकल नॉलेज के स्‍थान पर प्रैक्टिल नॉलेज को बढ़ावा दिया जाएगा.


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