पणजी (आईएएनएस)| केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि देश में लंबित मामलों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, इसलिए उनके मंत्रालय का लक्ष्य न्यायपालिका को पूरी तरह से कागज रहित बनाना है। वह यहां 23वें राष्ट्रमंडल विधि सम्मेलन के दौरान बोल रहे थे। रिजिजू ने कहा, हम मामलों में हो रहे विलंब को खत्म करना चाहते हैं। देश की अदालतों में 49 मिलियन से अधिक मामले लंबित हैं। इन मामलों को कम करना आसान नहीं है। न्यायाधीश असाधारण रूप से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, सामान्य परिस्थितियों में एक औसत न्यायाधीश एक दिन में 50 से 60 मामलों को संभालता है। पिछले कुछ वर्षों में कुछ न्यायाधीशों ने एक दिन में 200 से अधिक मामलों का निपटारा किया है। यह असाधारण है, लेकिन लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा न्याय तंत्र को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से ई-अदालत विशेष परियोजना चरण तीन शुरू की गई है। हमारा अंतिम लक्ष्य भारतीय न्यायपालिका को पेपरलेस बनाना है।
कानून मंत्री ने कहा, 1.4 अरब लोगों को न्याय प्रदान करना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। हम कई अन्य चीजों के बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन अगर आम आदमी को बुनियादी जरूरतें नहीं मिलतीं, तो न्याय सिर्फ एक शब्द बनकर रह जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले दिन से यह प्रयास किया है कि सभी योजनाएं देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम का आज हर व्यक्ति लाभार्थी है।
मंत्री रिजिजू ने कहा कि सरकार पहले ही 1486 निर्थक कानूनों को निरस्त कर चुकी है और अन्य 65 विधेयकों/प्रावधानों को संसद के मौजूदा बजट सत्र में निरस्त करने का प्रस्ताव है।