बजट की कमी से घवांडल अस्पताल का काम बंद

Update: 2024-05-07 09:21 GMT
नयनादेवी। विश्व विख्यात प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयनादेवी जी के समीप घवांडल में आधुनिक सुविधाओं से लैस बनने वाले अस्पताल के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। बजट की कमी के चलते इस अस्पताल का काम बंद कर दिया गया है। वर्तमान में अभी तक करीब 80 फीसदी काम ही अस्पताल का हो पाया है। वहीं, 20 फीसदी कार्य को लेकर बजट का प्रावधान नहीं हो पाने के चलते इसका कार्य रोक दिया है। इस अस्पताल का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह ने किया था, लेकिन इस अस्पताल को लेकर लगातार लोगों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। नयनादेवी में स्थानीय लोगों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बस अड्डे के समीप 50 बिस्तर की सुविधा का कार्य चलाया गया था, लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी यह कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। अभी तक करीब नौ करोड़ की राशि खर्च की जा रही है। अभी और बजट की आवश्यकता है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में इस अस्पताल का कार्य तेजी गति से चला हुआ था।

यही नहीं, मंदिर न्यास द्वारा जारी पांच करोड़ रुपए के फंड देने के बाद भी इस अस्पताल का कार्य आगामी बजट न मिलने के कारण रोक दिया है। जिससे स्थानीय जनता में रोष है। बता दें कि लगभग दो वर्ष पहले इस अस्पताल का कार्य अंबाला से यूनिप्रो कंपनी ने बजट में पूरा प्रावधान होने के बाद ही इस अस्पताल का कार्य शुरू किया था। बिना रुके इस कार्य को तेजी से किया जा रहा था, उस समय इसमें किसी प्रकार की बजट के में कोई रुकावट नहीं हुई। जनता को उम्मीद थी कि मार्च माह में यह अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन अभी भी यह कार्य 80 फीसदी ही हुआ है। शेष कार्य पूरा करने को लेकर सरकार की ओर से भी कोई रूचि नहीं दिखाई गई है। अब यूनिप्रो कंपनी ने अस्पताल का कार्य रोक दिया है। बता दें कि इस सिविल अस्पताल में लगभग छह ओपीडी होगी। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, ईएनटी सहित सभी रोगियों के लिए ओपीडी का निर्माण किया जा रहा था। शवगृह का भी यहां पर विशेष प्रबंध रखा गया था। इसके लिए भी अस्पताल में विशेष प्रबंध किया था। अस्पताल में छह डाक्टर हर समय उपलब्ध रहेंगे। 25 पैरामेडिकल स्टाफ यहां पर रहेगा। आवासीय सुविधा के लिए अढ़ाई करोड़ रुपए की एक और प्रोपोजल सरकार को भेजी गई थी, उसकी टोकन मनी भी आ गई थी। अब इसके लिए प्रशासनिक एवं खर्चे की मंजूरी के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव भेजा था।
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