गिरोह का भंडाफोड़: वेबसाइट के माध्यम से क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल कर ठगी, तीन लोग गिरफ्तार
पुलिस ने ठगी करने वाले एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है
दिल्ली: पुलिस ने ठगी करने वाले एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स हासिल कर लोगों के साथ धोखाधड़ी करते थे. पुलिस ने इस गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक इनके नाम विकास झा, विक्की उर्फ हिमांशु व अविनाश हैं. ये तीनों पुलिस से बचने के लिए अलग-अलग राज्यों के शहरों में घूमते रहे. इतना ही नहीं मौज मस्ती के लिए चारों फाइव स्टार होटल में ठहरते थे. खासबात ये है कि विकास और अविनाश को कोरोना काल के चलते अदालत से जमानत मिली थी, लेकिन ये दोनों जेल से बाहर आकर ठगी का धंधा फिर से करने लगे.
विकास के खिलाफ पहले से 21 मामले दर्ज हैं जबकि अन्य दोनों के खिलाफ 5-5 मामले दर्ज हैं. इनके पास से एक लैपटॉप, 15 मोबाइल फोन, 39 सिम कार्ड, 85 हजार रुपये, 3 वाई-फाई डोंगल बरामद किए हैं.
क्या है मामला
डीसीपी नार्थ डिस्ट्रिक एंटो अल्फोंस का कहना है कि एमएचए के साइबर कम्पलेंट पोर्टल को शिकायत मिली थी. जिसमें बुराड़ी इलाके के रहने वाले पीड़ित ने बताया उनके बैंक क्रेडिट कार्ड से बिना ओटीपी नंबर शेयर करे 37 हजार रुपए कट गए. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि पीड़ित के पास बल्क एसएमएस आया था, जिसमें क्रेडिट कार्ड प्वाइंट लेने के लिए एक लिंक भेजा गया था. उस लिंक को खोलने के बाद पीड़ित ने कार्ड और ई-मेल आईडी की वेबसाइट पर शेयर की थी. उसके बाद ही शिकायतकर्ता के साथ धोखाधड़ी हुई. शिकायत के आधार पर बुराड़ी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.
कैसे पकड़े गए
साइबर सेल ने जांच के दौरान 100 से ज्यादा मोबाइल नंबर को जांच के दायरे में लिया. जिसके बाद आरोपियों की पहचान करने में सफलता मिली. टैक्नीकल सर्विलांस की मदद से पुलिस ने फरार आरोपियों की धरपकड़ के लिए दिल्ली, यूपी, हरियाणा और चंडीगढ में रेड की. आखिर में विकास झा और हिमांशु उर्फ विक्की को दिल्ली-अमृतसर हाईवे पर कुरुक्षेत्र से पकड़ लिया गया. दोनों चंडीगढ से आगरा जा रहे थे. इन दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने इनके तीसरे साथी अविनाश को भी गिरफ्तार कर लिया.
ऐसे करते थे ठगी
पुलिस का दावा है कि आरोपी विकास झा ने पूछताछ में खुलासा किया है कि उसे कम्पयूटर और कोडिंग का अच्छा ज्ञान है. उस पर इस तरह के 21 अपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं और पहले गिरफ्तार भी हो चुका है. जेल से जमानत पर बाहर निकलने के बाद उठाने उसने एजयूकेशन फॉर्म से संबंधित में एक वेबसाइट बनायी. जिसमें फॉर्म भरने वाले से उसका पूरा नाम, ईमेल आईडी, ईमेल पासवर्ड, फोन नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट, सीवीवी नंबर, जन्म तिथि की जानकारी ली जाती.
इसके अलावा विकास खरीदे गए बैंक डाटा की मदद से क्रेडिट कार्ड होल्डर को बल्क मैसेज भेज देता था, जिसमें प्वाइंट मिलने का लालच दिया जाता था. पीड़ित मैसेज लिंक को खोल वेबसाइट पर इन सभी जानकारी को भर देता था, जिसके बाद विकास झा पीड़ित के क्रेडिट कार्ड से रुपए, शोरुम से गोल्ड व महंगे मोबाइल खरीदने में इस्तेमाल करता. इसके अलावा लॉकडाउन में शोरुम बंद होने की वजह से वह रुपए ट्रांसफर कर फर्जी बैंक खाते में डलवा लेता था. जिसके बाद उस रकम को अपने एकाउंट में ट्रांसफर करवा लेता था
पुलिस का कहना है कि पकड़े जाने से बचने के लिए वह पुणे, पंजी, बंगलुरु, इंदौर, जयपुर, सूरत, चंडीगढ, शिमला, आगरा आदि शहरों में जाकर एटीएम से रुपए निकालता था, ताकि कोई उसे न पहचान सके. आरोपी फाइव स्टार होटलों में ठहरते थे. एक रात से ज्यादा किसी शहर में नहीं रुकते थे.