गांधी मैदान ब्लास्ट केस: हाई कोर्ट में चुनौती देंगे दोषियों के परिजन, रैली में बम फोड़ने वाले 4 दशहतगर्दों को फांसी और 2 को मिली है उम्रकैद की सजा

Update: 2021-11-02 06:43 GMT

पटना: 2013 में पटना के गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट (Gandhi Maidan serial blast) मामले में एनआईए (NIA) कोर्ट ने 4 दोषियों को फांसी की सज़ा दी गई है, 2 को आजीवन कारावास और दो को 10-10 साल की सज़ा सुनाई गई है.

इस मामले में रांची का सीठियो गांव सुर्खियों में रहा था. मामले के दोषी इसी गांव के रहने वाले हैं. इस बात से गांव वाले नाराज थे और उनका कहना था कि ये गांव बदनाम हो गया है. गांव पर लगे इस दाग को धोने के लिए अब तमाम दोषियों के परिजनों ने ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है.
कुछ दोषियों के परिजनों का कहना है कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो वो उससे गुरेज नही करेंगे लेकिन फांसी की सज़ा पाने वाले नोमान अंसारी और इम्तियाज आलम को निर्दोष साबित करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
सीठियो के रहने वाले इम्तियाज आलम और नुमान अंसारी के घर पर उस समय मातम पसर गया, जब उन्हें यह खबर मिली कि दोनों को फांसी की सजा सुनायी गई है. परिजन रोते हुए यही कह रहे थे कि इम्तियाज और नुमान निर्दोष हैं. नुमान की मां का तो रो-रोकर बुरा हाल है.
इम्तियाज आलम और नुमान अंसारी के परिजन फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. अब इम्तियाज और नुमान के परिजन एनआईए कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कह रहे हैं. नुमान अंसारी के पिता सुल्तान अंसारी का कहना है कि उनका बेटा निर्दोष है. वह हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाएंगे और हर हाल में उसे रिहा कराकर ही दम लेंगे. एनआईए ने जो दाग उनके माथे पर लगाया है, उसे हर हाल में धोकर ही रहेंगे.
फांसी की सजा पाने वाले, चकला गांव के मुजीबुल्लाह के पिता जाबिर अंसारी का कहना है कि वकील से मामले को समझने के बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामले को ले जाएंगे और बेटे को निर्दोष साबित कराकर ही चैन से बैठेंगे. गांव के युवक को एनआईए कोर्ट द्वारा फांसी की सजा देने के बाद चकला गांव में मायूसी छा गई, गांव के लोग दुखी हैं.
बता दें कि 27 अक्टूबर, NIA कोर्ट ने 10 में से 9 आरोपियों को दोषी करार दिया था. इनमें हैदर अली, नोमान अंसारी, मुजीब उल्लाह अंसारी, इम्तियाज आलम, अहमद हुसैन, फिरोज असलम, इम्तियाज अंसारी, इफ्तेखार आलम और अगर उद्दीन कुरैशी शामिल हैं. मोहम्मद फखरुद्दीन को सबूतों की कमी के आधार पर इस मामले से बरी कर दिया गया.
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