नई दिल्ली: दिल्ली में जी-20 काॅन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन ‘दुनिया को बेहतर बनाने के लिए सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने’ के विषय पर केंद्रित था। यहां शिक्षाविदों, विश्वविद्यालय की कुलपति, पूर्व राजदूत व आईएएस अधिकारियों ने विश्व शांति और समृद्धि के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलवायु सुधार के लिए वित्तीयन और प्रगति में महिलाओं के नेतृत्व पर चिंतन किया।
दिल्ली में जी-20 काॅन्फ्रेंस आईआईएलएम युनिवर्सिटी ने अपने कैम्पस में आयोजित किया। जी20 इंडिया प्रेसीडेंसी के मुख्य समन्वयक, हर्ष वर्धन श्रृंगला इस अवसर पर मौजूद रहे और उन्होंने सतत विकास के लक्ष्य पूरे करने में वैश्विक सहयोग को सबसे अहम बताया। श्रृंगला ने कहा, ‘‘भारत ने जी20 की अध्यक्षता की दमदार दावेदारी की है। जलवायु सुधार के लिए वित्तीयन और प्रगति में महिलाओं के नेतृत्व का समर्थन कर सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। भारत सतत विकास के लक्ष्य पूरे करने के लिए समर्पित रहा है। देश के 56 शहरों में 185 जी20 आयोजन इसका स्पष्ट प्रमाण है। यह प्रयास सराहनीय है।
सब के विकास के लक्ष्य से वैश्विक समुदाय से सहयोग करने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता अभूतपूर्व है जो आज पूरी दुनिया के सामने है। आईआईएलएम युनिवर्सिटी की वाइस चांस्लर प्रोफेसर सुजाता शाही ने कहा कि ये सत्र बहुत सूचनाप्रद हैं। आईआईएम नागपुर के निदेशक डॉ. भीमाराय मेत्री ने बताया कि इसमें विश्व शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक बदलाव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की क्षमता को गहराई से देखा गया।
आईआईएम संबलपुर के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर महादेव जयसवाल ने अपनी बात रखते हुए लैंगिक समानता को मौलिक अधिकार और विश्व शांति, समृद्धि और सतत विकास के लिए अनिवार्य बताया। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज नेहरू ने एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए असमानता दूर करने, आर्थिक सुलभता बढ़ाने और जिम्मेदारी से उपभोग करने को प्रोत्साहित किया। कई अन्य विशिष्ट लोगों में पूर्व राजदूत मोनिका कपिल मोहता, स्विट्जरलैंड में पूर्व भारतीय राजदूत स्टीफन सी पैटन, लिवरपूल के लिए दक्षिण एशिया निदेशक और सी.के. मिश्रा, आईएएस, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के पूर्व सचिव शामिल रहे।
सतत विकास को बढ़ावा देने में महिलाओं की क्षमता को असीम बताते हुए पूर्व राजदूत मोनिका कपिल मोहता ने कहा, ‘‘महिलाओं का प्राकृतिक संसाधनों के साथ गहरा संबंध रहा है। दूर-दूर जा कर जलावन की लकड़ी इकट्ठा करना हो या पानी भर के लाना, महिलाएं ये जिम्मेदारियां निभाती रही हैं। वे इन्हें अनमोल संसाधन मानती हैं। इसलिए इस संबंध में किसी निर्णय में महिलाओं को शामिल करें तो विश्व शांति और सबके विकास का लक्ष्य पूरा करना आसान होगा। उनकी भागीदारी बढ़ाने का ये ठोस लाभ पूरी दुनिया को मिलेंगे।’’
वाइस चांस्लर सुजाता शाही ने कहा, ‘‘इस प्रासंगिक सम्मेलन से हम चाहते हैं कि सहयोग की यह भावना आगे बढ़े। मैं बेहतर बदलाव को लक्षित इस आयोजन में सक्रिय भागीदारी के लिए सभी की सराहना करती हूं। हम सभी को एकजुट हो कर महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना है और विजयी होना है। हम इस आयोजन के माध्यम से अपील करते हैं कि लोग सभी सीमाओं से ऊपर उठ कर परस्पर सहयोग से सीखने का नया दृष्टिकोण अपनाएं।’’