बाल गृह में चार मासूम बच्च्चियों की इलाज के दौरान मौत

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Update: 2023-02-16 16:10 GMT
लखनऊ। राजधानी लखनऊ के राजकीय बाल गृह में पांच दिनों में चार बच्च्चों का इलाज के दौरान सिविल हास्पिटल में मौत हो गई।वहीं इस समय बच्चा का इलाज पीडियाट्रिक विभाग में डॉक्टरों की निगरानी मे वेंटिलेटर पर है हालत स्थिर है।बच्चियों के मौत मामले को तूल पकड़ता देख बाल गृह अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है। मजिस्ट्रियल जांच के भी आदेश दिए गए हैं। शहर में कहीं भी पाए गए लावारिस शिशु को यहां रखा जाता है। उनका पालन पोषण उत्तर प्रदेश का महिला कल्याण विभाग करता है। सिविल अस्पताल के CMO डॉ०आरपी सिंह ने बताया कि दो महीने की बच्ची मून वेंटिलेटर पर है गंभीर हालत मे बच्ची को अस्पताल लाया गया था बहुत कमजोर है। हालत स्थिर बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक अब तक अंतरा, लक्ष्मी, आयुषी व दीपा की मौत हो चुकी है जबकि मून का इलाज चल रहा है। CMO की जॉच टीम का कहना है कि मासूमों को ठंड से बचाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे और कई कमियां पायी गई।
मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ राजकीय बाल गृह में जब अंतरा को लाया गया था, तब वह 10 से 15 दिन की थी। उसकी मौत 10 फरवरी को हुई। इससे पहले वह 19 से 28 जनवरी तक भर्ती थी। डिस्चार्ज होकर आने के बाद तबीयत बिगड़ने पर उसे फिर भर्ती कराया गया था। दिसंबर में बाल गृह लाई गई करीब 15 दिन की लक्ष्मी की तभी से तबीयत खराब चल रही थी। इस बीच उसका इलाज होता रहा। 23 जनवरी को दोबारा बुखार आने पर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। 11 फरवरी को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। आयुषी भी दिसंबर में लाई गई थी, तब वह 16 दिन की थी। वजन कम होने पर उसे केजीएमयू और सिविल अस्पताल में दिखाया गया। आठ फरवरी की सुबह डॉक्टर ने फिर उसकी जांच की। रात को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। 12 फरवरी को उसने दम तोड़ दिया। इसी तरह दिसंबर में जब दीपा लाई गई, तब वह 20 दिन की थी। उसे निमोनिया था। इस बीच थैलेसीमिया होने का भी पता चला। कई बार उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 23 जनवरी को बुखार आने पर एडमिट कराया गया। मंगलवार को उसकी भी मौत हो गई। वहीं चार-पांच दिन पहले आए डेढ़ महीने की बच्ची मून की बोनमैरो जांच करवाई गई है। उसकी प्लेटलेट्स लगातार कम हो रही थी। बाल गृह अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तत्काल रिपोर्ट मांगी गई है। बाल गृह की व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए दिनेश रावत को प्रभारी बनाया गया है। मामले में बाल गृह प्रबंधन का कहना है कि बच्चियां गंभीर हालत में बाल गृह लाई गई थीं।फिलहाल पूरे मामले की जॉच कराई जा रही है।
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