पेगासस मुद्दे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, कहा- 'कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए मामले की जांच'
पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spy case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक और याचिका दायर हो गई है.
पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spy case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक और याचिका दायर हो गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Former Union Minister Yashwant Sinha) ने पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की. यशवंत सिन्हा ने कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने आज पेगासस मामले के सभी याचिकाकर्ताओं से यह कहा है कि वह केंद्र सरकार को अपनी याचिका सौंपें. इस पर केंद्र का जवाब सुनने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि मामले पर औपचारिक नोटिस जारी किया जाए या नहीं.
इसके साथ ही इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित तौर पर लोगों के जासूसी किए जाने के मामले पर कुल 9 याचिकाएं आज चीफ जस्टिस एनवी रामना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में सुनवाई की शुरुआत में मामले में सबसे पहले याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से पहले अपनी बात रखने की अनुमति मांगी. चीफ जस्टिस ने सिब्बल को पहले बात रखने का मौका देते हुए एम एल शर्मा से कहा, " आप की याचिका और अधिकतर याचिकाएं सिर्फ मीडिया रिपोर्ट पर आधारित हैं. इनके पीछे कोई ठोस आधार नहीं.
पेगासस को लेकर कई लोगों ने दायर की याचिका
पेगासस सूची में शामिल होने वाले 5 पत्रकारों ने भी इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्र याचिका दायर की है. राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और एडवोकेट एमएल शर्मा ने भी इसी तरह की मांगों के साथ जनहित याचिका दायर की है. पेगासस विवाद 18 जुलाई को द वायर और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों द्वारा मोबाइल नंबरों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद शुरू हुआ, जो भारत सहित विभिन्न सरकारों को एनएसओ कंपनी द्वारा दी गई स्पाइवेयर सेवा के संभावित लक्ष्य थे. 40 भारतीय पत्रकार, राहुल गांधी जैसे राजनीतिक नेता, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पूर्व ईसीआई सदस्य अशोक लवासा आदि के निशाने पर होने की सूचना है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और राजनेताओं की निगरानी करने के मामले में एसआईटी (SIT) जांच की मांग की गई. याचिका में ईजीआई ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा पत्रकारों की रिपोर्टिंग में गैर-हस्तक्षेप है. इसमें स्रोतों के साथ सुरक्षित और गोपनीय रूप से बोलने, सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की जांच करने, सरकारी अक्षमता को उजागर करने और विरोध करने वालों के साथ बोलने की उनकी क्षमता शामिल है.