जुबां पर फर्राटेदार अंग्रेजी और काम कुली का, अपने इस टैलेंट से 70 वर्षीय बुजुर्ग चर्चा में

Update: 2021-08-29 16:01 GMT

कहते हैं कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती है, जब ललक कुछ सीखने की हो और हौसला बुलंद हो तब इंसान हर वो चीज हासिल कर सकता है, जिसे वह चाहता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बिहार के गया जंक्शन (Gaya Junction) पर कुली का काम करने वाले 70 साल के शिव कुमार गुप्ता ने. शिव कुमार गुप्ता फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं, वहीं लोग इन्हें इंग्लिश कुली मैन (Gaya English Coolie man) के नाम से जानते हैं. खास बात ये है कि इनके पास ना कोई एजुकेशन है न कोई डिग्री है लेकिन अंग्रेजी (Spoken English) ऐसी कि हर को चकित हो जाए.

हाथों में अंग्रेजी अखबार, जुबां पर फर्राटेदार अंग्रेजी और काम कुली का. गया के शिवकुमार गुप्ता जिनकी उम्र लगभग 70 साल, पेशे से कुली हैं. शरीर अब धीरे-धीरे साथ देना छोड़ रहा है लेकिन बुढ़ापे के साथ ही ये और भी दृढ़ होते जा रहे हैं. शिवकुमार गुप्ता कहते हैं कि काम तो वो कुली का करते हैं लेकिन सबसे पहले वो इंसान हैं जो कि लोगों के काम आ सकें. जिंदगी में इससे बड़ी कोई चीज नहीं है. शिव कुमार गुप्ता हैं तो आम कुली ही लेकिन इनकी कुछ अलग ही खासियत है. जहां आम कुलियों को हिंदी भी ठीक से समझ नहीं आती है, वहीं शिवकुमार गुप्ता बिना कोई डिग्री के ही धड़ल्ले से अंग्रेजी बोलते हैं, ऐसे में गया जैसे ऐतिहासिक स्टेशन पर उनके साथ अन्य 121 कुलियों को भी खूब लाभ मिलता है.

जब भी कोई विदेशी बाबू यहां पहुंचते हैं और जो हिंदी नहीं समझते हैं, उनके लिए शिवकुमार गुप्ता मददगार बनते हैं. उनके सामानों को पहुंचाने के साथ ही उनकी सहूलियत के हिसाब से गाइड करना शिवकुमार गुप्ता अपना धर्म समझते हैं. कुली शिवकुमार गुप्ता ने बताया कि उनकी कोशिश होती है कि जिनके लिए वे काम कर रहे हैं, वो खुश रहें, न दाम-साट न मोल-जोल. गुप्ताजी के व्यवहार के कारण उन्हें लोग खूब पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि इसी वजह के कारण बिना मांगे उन्हें अक्सर लोग तोहफे दे जाते हैं. लोग हमें इंग्लिश कुली मैन भी कहते हैं. शिव बताते हैं कि मेरे पास कोई एजुकेशन कोई डिग्री नही है, फिर भी मैं बोलते-बोलते सीख गया. गया जंक्शन पर ही काम कर रहे कुली सूरज देव चंद्रवंशी ने बताया कि शिवकुमार गुप्ता को बाबा कहते हैं, फिर उन्हे इंग्लिश कुली मैन के नाम से पुकारते हैं. उन्होंने बताया कि बाबा के रहने से उन्हें काफी मदद मिलती है. जब हमें कुछ समझ नहीं आता है तो हम भागे-भागे शिवकुमार बाबा के पास जाते हैं और वो यात्री को इंग्लिश में समझा-समझाकर भेज देते हैं.

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