प. बंगाल की ममता सरकार राज्य में DGP की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची

प. बंगाल की ममता सरकार राज्य में DGP की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.

Update: 2021-09-02 05:35 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प. बंगाल (West Bengal) की ममता सरकार (Mamata banerjee) राज्य में DGP की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि UPSC के पास न तो अधिकार क्षेत्र है और न ही उसमें किसी राज्य के DGP पर विचार करने और नियुक्त करने की विशेषज्ञता है.

दरअसल, प. बंगाल में 1986-बैच के एक IPS अधिकारी को राज्य के कार्यवाहक DGP के रूप में नामित किया गया है. नए DGP के चयन को लेकर राज्य और UPSC के बीच खींचतान चल रही है. ऐसे में कार्यवाहक DGP नामित होने के एक दिन बाद ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.
राज्य की सूची में निकाली गईं खामियां
ममता सरकार के मुताबिक, यूपीएससी ने पद के लिए सुझाए गए नामों की बंगाल सरकार की सूची में कई खामियां निकाल दी हैं. यह भारतीय संघीय शासन प्रणाली के अनुरूप नहीं है. सरकार ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें एक अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र में समन्वय से काम करती हैं. लेकिन उसी समय वो एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं.
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सीजेआई एनवी रमन्ना से जल्द सुनवाई की मांग की है. लूथरा ने पीठ को बताया कि राज्य में एक नियमित डीजीपी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने एक कार्यवाहक पुलिस प्रमुख की नियुक्ति पर रोक लगाई है.
कोर्ट ने UPSC द्वारा चयन का दिया था निर्देश
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हरीश साल्वे द्वारा दायर एक याचिका को अंतिम रूप देने के लिए अनुरोध किया. इस याचिका में पुलिस सुधारों पर 1996 के प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को दूर करने के लिए राज्यों द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2006 में दिए फैसले में DGP के चयन और न्यूनतम कार्यकाल से संबंधित विशिष्ट निर्देश जारी किए थे.
इसके मुताबिक, राज्य के DGP का चयन राज्य UPSC उस रैंक पर पदोन्नति के लिए सूचीबद्ध विभाग के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से करेगा. Live TV


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