महिला हेड कॉन्स्टेबल ने पुलिस अफसर पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप, घर बुलाकर....सीएम तक पहुंचा मामला
हिमाचल प्रदेश की शिमला जिला पुलिस के एक एडिश्नल एसपी रैंक के अधिकारी के खिलाफ महिला हेड कॉन्सटेबल ने शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया है. इस मामले पर आरोपी अधिकारी को पुलिस मुख्यालय में अटैच किया गया है. मामले पर डीजीपी संजय कुंडू ने कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया है. डीजीपी का कहना है कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन हैं, इसलिए आधिकारिक बयान नहीं दिया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर सीएम जय राम ठाकुर ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की बात कही है. सीएम ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है, फिलहाल कुछ कहना ठीक नहीं है. अब इस मामले पर सूत्रों ने बड़ा खुलासा किया है. सूत्रों के मुताबिक ये मामला काफी समय पहले का है.
जानकारी के अनुसार महिला हेड कॉन्सटेबल ने आरोप लगाए हैं कि आरोपी अधिकारी कई दिनों से उसे तंग कर रहा है, साथ ही आपत्तिजनक बातें और गलत मांग कर रहा था. पुलिस अफसर पर आरोप है कि उसने पत्नी को गाड़ी सिखाने के बहाने उसे अपने घर बुलाया था. एक दिन उसने कहा कि उसकी पत्नी उससे मिलना चाहती है. जब वह उससे घर गई तो उस अफसर के अलावा वहां कोई नहीं था. आरोपी अफसर ने उसके साथ छेड़खानी की. आरोप है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी पीड़ित हेड कांस्टेबल के साथ छेड़खानी की गई. इस बात की जानकारी उसने अपने सहकर्मियों को भी दी.
सूत्रों के अनुसार दोनों एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं. दो साल पहले भी कुछ इस तरह का वाक्या सामने आने की बात कही जा रही है. लेकिन उस समय किसी तरह की शिकायत नहीं की गई. उसके बाद भी दोनों के बीच बातचीत होती रही. दोनों के बीच चैटिंग भी होती थी. इसी साल जनवरी महीने में दोनों यूएनए मिशन के टेस्ट के सिलसिले में दिल्ली गए थे, हालांकि दोनों अलग-अलग गए थे. आरोपी अफसर के हवाई जहाज से दिल्ली गए थे. जनवरी के बाद दोनों के बीच व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात नहीं हुई है.
पहले क्यों नहीं की गई शिकायत
अप्रैल महीने में महिला कॉन्सटेबल का तबादला एक थाने से दूसरे थाने में हुआ. पीड़िता को मुंशी से आईओ लगाया गया. उसके बाद ऐसा क्या हुआ कि पीड़िता ने अपने विभाग के आला अफसरों से शिकायत की. अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि सशक्त महिला पुलिसकर्मी होने के नाते ये शिकायत पहले क्यों नहीं की गई. क्या पीड़िता पर किसी तरह का दबाव बनाया गया था, या फिर कोई और बात है. जिस वक्त ये छेड़खानी हुई तो क्या उस वक्त पीड़िता ने आत्मरक्षा के लिए संघर्ष किया था? अड़ोस-पड़ोस के लोगों को मदद के लिए बुलाया या नहीं? क्या आरोपी अफसर का घर अकेली जगह पर है कि कोई आवाज नहीं सुन पाया?
पीड़िता ने बात करने से इनकार किया
उसके बाद सीधे पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत क्यों नहीं की गई. क्या ये भी माना जाए कि पीड़िता को डर था कि कॉन्सटेबल होने की वजह से उसकी आवाज सुनी नहीं जाएगी, इसलिए चुप रही. अब हिम्मत कर आगे आई है? इस पूरे प्रकरण पर पीड़िता से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन पीड़िता ने बात करने से इनकार कर दिया.