किसान आंदोलन: 'जंतर-मंतर' पर डटे रहे अन्नदाता, जलभराव के बीच किया प्रदर्शन

दिल्ली में आज सुबह से ही तेज बारिश के बावजूद जंतर-मंतर पर किसानों की संसद जारी है।

Update: 2021-07-28 15:16 GMT

दिल्ली में आज सुबह से ही तेज बारिश के बावजूद जंतर-मंतर पर किसानों की संसद जारी है। धरना स्थल पर बरसते पानी और जलभराव के बाद भी किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहे। किसानों का कहना है कि हम ठंड हो बारिश पीछे हटने वाले नहीं है।

शहर में होती तेज बारिश और सड़कों पर जाम के चलते किसान दोपहर 12 बजे जंतर-मंतर पर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने 'किसान संसद' की कार्यवाही शुरू की हुई। बुधवार को हुए सत्र में 100 से ज्यादा किसानों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के मुद्दे को लेकर चर्चा की। वहीं शाम को सरकार के इस काले कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पेश किया गया। धरना स्थल पर बरसते पानी और भारी जलजमाव के बावजूद किसान टस से मस नहीं हुए। वे प्रदर्शन स्थल पर ही अपनी मांगों को लेकर धरना देते रहे।
टेंट में प्रदर्शन और लंगर भी
बरसते पानी के बीच किसानों ने टेंट में पहले संसद को चलाया। वहीं इसके बाद किसानों ने टेंट में लंगर लिया। इसके बाद फिर से संसद के दूसरे सत्र की कार्यवाहीं शुरू की गई। भारतीय किसान यूनियन असली के प्रवक्ता प्रबल प्रताप शाही ने अमर उजाला से चर्चा करते हुए कहा कि बुधवार को किसान संसद के दोनों सत्रों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के मुद्दे को लेकर चर्चा हुई। इसमें 100 से ज्यादा किसानों ने चर्चा में भाग लिया। चुनिंदा कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए मोदी सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का कानून लेकर आई है। आज भाजपा सरकार कॉरपोरेट घरानों के साथ मिलकर काम करती है। इन्हीं घरानों के दबाव में वे ऐसे काले कृषि कानून लेकर आई है। आज सरकार छोटे और गरीब किसानों की जमीन अंबानी और अडानी को देना चाहती है।
तेज बारिश में भी किसान संसद चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सारे मौसम में किसान अपने खेतों में रहते है। आज अन्नदाता न तो बारिश से परेशान है न ही गर्मी और न ही ठंड से परेशान है। हम केवल केंद्र में बैठी इस मोदी सरकार से परेशान है। आज हम जंतर मंतर पर कोई सुविधा लेने नहीं आए हैं। हम सभी यहां जायज मांगों की लड़ाई के लिए यहां उपस्थित हुए हैं। आज देश की संसद में सभी सांसद एसी में बैठे हैं लेकिन देश का अन्नदाता खुले में बैठकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। हम अपनी जमीन, खेती और किसानी को बचाने के लिए इसी तरह की लड़ाई आगे भी लड़ते रहेंगे।
मोदी सरकार कर रही है लोगों को परेशान
उन्होंने कहा कि आज सरकार संसद के अंदर और बाहर किसानों से चर्चा करने से बचते हुए दिखाई दे रही है। आज किसानों की लड़ाई देश के प्रमुख कॉरपोरेट घरानों, डब्ल्यूटीओ से है। मोदी सरकार आज डब्ल्यूटीओ और चुनिंदा उद्योगपतियों की गुलाम बन चुकी है। हम लोगों को परेशान नहीं कर रहे है। जबकि मोदी सरकार आम लोगों को परेशान कर रही हैं। लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं और महंगाई भी आसमान पर पहुंच गई है। हमारा मकसद लोगों को कतई परेशान करना नहीं है। बल्कि अपने हक की लड़ाई लड़ना है। आज संसद के अंदर गैर-लोकतांत्रिक तरीके से कानूने पास किए जा रहे हैं। संसदीय परंपरा की हत्या की जा रही है। लाखों किसान अपनी मांगों को लेकर बॉर्डर पर बैठे हैं। अब तक 600 से ज्यादा किसान शहीद हो गए हैं, लेकिन केंद्र सरकार कोई सुध नहीं ले रही है।
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