Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश में मौसम के करवट लेने से किसानों-बागबानों का कुछ हद तक राहत मिलेगी। लंबा ड्राई स्पेल टूटा है, जिससे हवा में नमी आई है और ठंडक हो गई है। यह ठंडक फसलों के लिए अच्छी है, फिर चाहे वे फल हों या मैदानों में होने वाली गेहूं की फसल। इन सभी के लिए मौसम का यह परिवर्तन अच्छा है और किसानों व बागबानों को इससे आगे के लिए उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों की मानें, तो दिसंबर महीने में पिछले कई साल से बर्फबारी नहीं हो रही थी, बारिश के लिए भी लोग तरस रहे थे। इस बार दिसंबर महीने में जो शुरुआत हुई है, उसमें हल्की बर्फबारी-बारिश हुई, परंतु फिर भी किसानों व बागबानों के लिए यह अच्छी है। इससे फसल को चिलिंग ऑवर्स मिलेंगे। खासकर जो फल ऊपरी क्षेत्रों में होता है, उसके लिए ठंडक जरूरी है और ठंडक मिलने से उनके चिलिंग ऑवर्स अभी से शुरू हो जाएंगे। सेब, नाशपाती, चेरी, बादाम के लिए चिलिंग ऑवर्स अभी से शुरू हो जाएंगे। काफी समय से ड्राई स्पेल चल रहा था, जिसे सक्रिय हुए पश्चिमी विक्षोभ ने तोड़ा है।
शिमला जैसे क्षेत्र में मौसम विज्ञानी मान रहे थे कि यहां पर बारिश होगी, लेकिन सीधे बर्फबारी हो गई। ऊपरी शिमला के कई इलाकों में बर्फबारी हुई, जिससे तापमान में गिरावट आई है। तापमान में यही गिरावट सेब व अन्य प्रजाति के फलों के लिए जरूरी है। सीपीआरआई के विशेषज्ञों की मानें, तो हवा में कुछ नमी आई है, जो अवश्य ही लाभदायी साबित होगी। हालांकि अभी और ज्यादा बारिश व बर्फ फसलों के लिए चाहिए, मगर शुरुआत हो गई है। इतना ही नहीं, ड्राई स्पेल की वजह से फसल खराब हो रही थी। अभी मौसम विभाग की मानें, तो पश्चिम विक्षोभ बीच-बीच में अपना बदलाव दिखाता रहेगा, जिससे आने वाले दिनों में सभी लोगों को उम्मीद जगी है। मैदानी क्षेत्रों में कोहरे से भी फसलों के लिए राहत है, क्योंकि इसमें नमी होती है और जो कोहरा पड़ता है, वह खेत-खलिहानों को गीला कर देता है।हालांकि जरूरत और ज्यादा है, परंतु फिर भी फसलों के लिए कुछ हद तक राहत मिली है। तापमान में गिरावट सेब व अन्य फलों के लिए जरूरी है, जिससे उनके चिलिंग ऑवर्स शुरू हो गए हैं। उनका कहना है कि दिसंबर महीने में कई साल बाद बर्फबारी व बारिश हुई है जो यकीनन लाभप्रद है। ऐसा ही आगे भी चलता रहा तो अगली फसल यकीनन अच्छी होगी।