कासरगोड जिले के सीमावर्ती गांवों के नाम बदलने की योजना फर्जी, दो जिले के मुख्यमंत्री इस मामले को लेकर कर सकते हैं बातचीत
कर्नाटक में पिछले कुछ समय से गावों के नाम बदलने की चर्चा चल रही है. हालांकि, कई अधिकारियों ने इसे गलत करार दिया है. उनका कहना है कि ये फर्जी खबर है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले चार दिनों से कर्नाटक में चर्चा है कि केरल सरकार कासरगोड जिले के सीमावर्ती गांवों के नाम कन्नड़ से मलयालम में बदलने की योजना बना रही है. हालांकि, क्षेत्रों में स्थानीय निकायों के विभिन्न अधिकारियों ने इसे गलत बताया है. उनका कहना है कि ये फर्जी खबर है. कासरगोड जिला प्रशासन ने बताया कि कासरगोड में गांवों के नाम बदलने को लेकर उनके पास कोई फाइल या याचिका नहीं आई है.
वहीं. प्राधिकरण के अध्यक्ष सी सोमशेखर ने कहा कि कुछ स्थानीय निकाय लोगों के परामर्श के बिना कासरगोड में कन्नड़ भाषी गांवों के नाम बदलने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह लंबे समय से यहां मौजूद कन्नड़ और तुलु संस्कृति को नष्ट कर देगा. सी सोमशेखर ने कहा कि उन्होंने सीएम बीएस येदियुरप्पा से मुलाकात की और उनसे मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. सीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह केरल में इस मामले को उठाएंगे.
'गांवों का नाम कन्नड़ से मलयालम में करने की कोई योजना नहीं'
जनता दल के नेता एचडी कुमारस्वामी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र लिखकर कहा कि अगर केरल सरकार द्वारा मंजेश्वर के कुछ गांव का नाम बदलकर कन्नड़ से मलयालम में करने के लिए कोई योजना बनाई जा रही है तो उसपर रोक लगा दी जाए. वहीं, बीजेपी के मधुर पंचायत अध्यक्ष गोपालकृष्ण के ने कहा कि मधुर का नाम बदलकर मधुरम करने का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया है और न ही हमने नाम बदलने के लिए कहा है. यहां पंचायत पर पिछले चार दशकों से बीजेपी का शासन है.
जिला सूचना अधिकारी एम मधुसूदन ने कहा कि कासरगोड खुद कासरगोड (Kasargod), कासरकोडे (Kasarkode) और कासारागोड (Kasaragode) लिखता है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह कासरगोड (Kasargod) है. लेकिन लोगों का इसे लिखने और उच्चारण करने का अपना तरीका होता है. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानों के नाम बदलने में बहुत सारी कागजी कार्रवाई शामिल है.