FAKE ENCOUNTER: सेना के अधिकारी समेत 3 लोगों के खिलाफ पुलिस ने दाखिल किया चालान, लगाए ये गंभीर आरोप
अब होगा कोर्ट मार्शल.
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के शोपियां में इस साल 18 जुलाई को एक एनकाउंटर हुआ था. इसमें राजौरी के तीन युवकों की मौत हो गई थी. घटना के तुरंत बाद से ही इस एनकाउंटर पर सवाल उठने लगे थे. कहा जाने लगा था कि ये एक फर्जी मुठभेड़ (Fake Encounter) है. अब करीब 6 महीने बाद पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दायर किया है. इसमें सेना के एक अधिकारी समेत तीन सैनिकों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. चार्जशीट के मुताबिक कैप्टन भुपेंद्र सिंह ने घटना को एनकाउंटर बताने के लिए कार और हथियार के इंतज़ाम किए थे, जिसे डेड बॉडी के पास रख दिए गए थे.
पुलिस के मुताबिक करीब 1400 पन्नों की चार्जशीट शनिवार को शोपियां की एक अदालत में दायर की गई. चार्जशीट में सेना की 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपिंदर, बिलाल अहमद लोन और ताबिश नजीर को कथित फर्जी मुठभेड़ में उनकी भूमिका के लिए आरोपी बनाया गया है. घटना के करीब 2 महीने के बाद इन दो नागरिकों की गिरफ्तारी हुई थी. मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोग राजौरी जिले के रहने वाले थे.
चार्जशीट में कहा गया है कि सेना के ऑफिसर और दो स्थानीय लोगों ने पहले सारे सबूत मिटा दिए और फिर घटनास्थल पर डेड बॉडी के पास ढेर सारे हथियार रख दिए गए, जिससे ये पता चले कि ये एनकाउंटर है और मारे गए तीनों नागरिक आतंकी है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, 20 लाख रुपये का इनाम पाने के लिए इस फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया गया. जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी कैप्टन और नागरिकों लोन और नजीर ने तीन नागरिकों के अपहरण की साजिश रची और मुठभेड़ को अंजाम दिया.
जांच के दौरान 49 गवाहों के बयान दर्ज किये गये. जांच के दौरान दो गाड़ियों और 62 आरआर के कैप्टन सिंह की सर्विस राइफल समेत सभी पसबूतों को जब्त किया गया है. पुलिस के मुताबिक लोन कानून की संबंधित धारा के तहत एक सरकारी गवाह बन गया है और उसका बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया है. सेना के अधिकारियों ने कहा था कि औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कोर्ट मार्शल हो सकता है.
इससे पहले इस मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया था जब सोशल मीडिया पर खबर आईं कि सेना के जवानों ने एक मुठभेड़ में तीन युवकों को आतंकवादी बताकर मार गिराया है. कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जांच सितंबर में पूरी हो गई थी. इसमें शुरुआती तौर पर पाया था कि 18 जुलाई की मुठभेड़ के दौरान इन जवानों ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत मिली 'शक्तियों' के नियमों का उल्लंघन किया है. अब इस ऑफिसर को कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ सकता है.