फर्जी कागजात तैयार करने का भंडाफोड़, 3 आरोपी गिरफ्तार

Update: 2022-08-20 18:21 GMT

नई दिल्ली: 25 सालों में एक हजार से अधिक लोगों को विदेश भेजने वाला गैंग मुंबई में फर्जी कागजात तैयार करने का मिनी फैक्टरी चला रहे थे। इस फैक्टरी में नकली पासपोर्ट, वीजा, स्टाम्प, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड के आलावा अन्य फर्जी कागजात तैयार किए जाते थे।

फैक्टरी को इम्तियाज चला रहा था और वह अपने कारीगर संजय की मदद से आधे घंटे में पासपोर्ट और अन्य फर्जी कागजात तैयार कर लेता था। जांच में पता चला है कि इम्तियाज अली पिछले दस साल से संजय दत्ताराम चव्हाण के साथ जाली दस्तावेज बनाने का काम करता था। पहले वह इन दस्तावेजों को मुंबई में रेक नाम के एक एजेंट के लिए बनाता था। लेकिन कोविड महामारी के दौरान रेक की मृत्यु होने के बाद वह सीधे तौर पर एजेंटों के साथ काम करने लगा। इन फर्जी कागजात को तैयार करने के लिए वह चेन्नई और देश के अन्य हिस्सों से कच्चे माल खरीदता था। इम्तियाज और संजय को नकली पासपोर्ट और वीजा बनाने विशेषज्ञता हासिल थी। हालांकि जांच से जुड़े अधिकारी का मानना है कि इनके पास से कुछ ऐसे सामान मिले हैं, जिससे इनके विदेशी संपर्क से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जांच में यह बात सामने आई है कि गैंग का सरगना जाकिर 25 सालों से इस धंधे से जुड़ा है। पंजाब, हरियाणा, गुजरात सहित देश के अन्य राज्यों में इनके एजेंट हैं। एजेंट लोगों को विदेश में बसने और काम दिलाने का सपना दिखाते हैं। लोगों के राजी होने पर एजेंट अपने सरगना जाकिर से संपर्क करते थे। जाकिर विदेश जाने वालों का फोटो और हस्ताक्षर मंगवाता था और फिर इम्तियाज और संजय को भेजकर पासपोर्ट और वीजा तैयार करवाता था। यहां तक कि जरूरत के मुताबिक अन्य दस्तावेज भी तैयार करवा लेता था।
गैंग के सदस्यों के पास मिले 12 सौ स्टाम्प, ड्राइविंग लाइसेंस के चार सौ चिप और पासपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले सामान को देखकर पुलिस भी हैरान है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि गैंग पासपोर्ट और वीजा को इस तरह से तैयार करते थे कि इनमें फर्क करना मुश्किल है। पुलिस का कहना है कि इनका विदेश से भी संपर्क हो सकता है। पुलिस एयरलाइंस कंपनी, इमिग्रेशन विभाग को भी अपने जांच के दायरे में ला रही है, ताकि इस बात का खुलासा हो पाए कि जाकिर या फिर इम्तियाज इतने सालों से इस धंधे को कैसे अंजाम दे रहे थे।
नेटफ्लिक्स पर बनने वाली फिल्म एवं वेब सीरिज में रुपये लगाता था सरगना
कबूतरबाजी का माहिर खिलाड़ी जाकिर लोगों को विदेश भेजने के बाद इनसे मिले वाली राशि को नेटफ्लिक्स पर बनने वाली फिल्म और वेब सीरीज में रुपये लगाता था। वह एक व्यक्ति को विदेश भेजने के लिए 50 से 70 लाख रुपये तक लेता था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जाकिर के आर्थिक पहलू की भी जांच की जाएगी। शुरूआती जांच में पता चला है कि वह अबतक करोड़ों रुपये फिल्म और वेब सीरीज पर लगा चुका है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जाकिर पर उसके खिलाफ आईजीआई एयरपोर्ट पर चार, चाणक्यपुरी थाने में एक और मुंबई में एक मामला दर्ज है। जाकिर अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था। जाकिर ने कबूल किया है कि वह अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए अमेरिका, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा आदि जगह भेज चुका है।
अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सएप नंबर का करते थे इस्तेमाल
गिरफ्तार जाकिर पुलिस से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय नंबर का व्हाट्सएप इस्तेमाल करता था। जांच में पता चला है कि वह अमेरिका मैक्सिको और कनाडा के नंबर इस्तेमाल कर रहा था। यात्री रवि की गिरफ्तारी के बाद से जाकिर दो महीने के दौरान 89 आईईएमआई नंबर बदले।
आरोपियों के पास से बरामद सामान
भारतीय पासपोर्ट-325
अंतरराष्ट्रीय पासपोर्ट-04
फर्जी वीजा- अमेरिका-21, शेंगेन-17, यूनाइटेड किंगडम-16, अस्ट्रेलिया-13, चीन-25, इटली-04, तुर्की-10, थाईलैंड-02, स्वीटजरलैंड-06, फ्रांस-05, मलेशिया-05, यूएई-04, इंडोनेशिया-01, साउथ अफ्रीका-15, मैक्सिको-30, कनाडा-12, सिंगापुर-03
इमिग्रेशन स्टाम्प-1200
भारतीय पासपोर्ट के पासपोर्ट जैकेट-75
भारत से जारी अन्तरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट-11
आधार कार्ड-11
कलर प्रिंटर-12
पासपोर्ट बनाने का डाई-02
लेमिनेशन मशीन-02
पेपर कटर-01
यूवी मशीन-02
स्टाम्प तैयार करने का मशीन-01
यूपीएस-01
मोबाइल फोन-07
चिप-400
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