Kullu. कुल्लू। देवभूमि कुल्लू में बीस भादों के पवित्र दिन पर हजारों श्रद्धालुओं ने ब्यास-पार्वती नदी के संगम स्थल पर बीस भादों का पवित्र स्नान किया। श्रद्धालुओं ने तीर्थ स्थल मणिकर्ण, खीरगंगा के गर्म पानी में आस्था की डुबकी लगाई। देवभूमि कुल्लू में बीस भादों पर धार्मिक नगरी मणिकर्ण, ब्यास और पार्वती ब्यास संगम, देऊरोपा, खीरगंगा, वशिष्ठ, क्लाथ, सरयोलसर आदि जगहों पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। गड़सा घाटी का शौठ निहारगनु तीर्थ स्थल में पवित्र स्नान किया। इन सभी तीर्थ स्थलों में शाही स्नान के लिए श्रद्धालुओं का सुबह से जमावड़ा लगा रहा। वहीं, श्रीराम मंदिर मणिकर्ण में श्रद्धालुओं ने मंगलवार की रात को भजन-कीर्तन भी किया। वहीं, जिया संगम में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डूबकी लगाई। यहां पर महिलाओं व बच्चों ने पहले स्नान किया। इसके बाद पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान औषधीय गुणों से युक्त पानी से श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं ने मणिकर्ण में बीस भादों पर्व पर पवित्र स्नान किया। जिला कुल्लू के भुंतर-जीया में 20 भादों के मौके पर देवी-देवताओं संग भक्तों ने शाही स्नान किया।
सुबह से ही यहां देवताओं के दरबार में स्नान को लेकर तैयारियां चलती रही तो दोपहर के समय यहां पर देवी-देवताओं ने स्नान की प्रक्रिया को पूरा किया। 20 भादो के अवसर पर जीया संगम में भी विशेष इंतजामों के बीच स्नान हुआ। यहां पर भी सैंकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ी। मिली जानकारी के अनुसार भुंतर-जीया में आधा दर्जन देवी देवताओं ने अपने-अपने सैंकड़ों हारियानों के साथ स्नान किया। देवता के कारकूनो हरी सिंह, प्रकाश, सुखदेव, पवन कुमार, डीणे राम ने बताया कि हर साल 20 भादो पर यहां पर पवित्र स्नान किया जाता है। श्रीराम मंदिर समिति के अध्यक्ष जनकराज शर्मा ने बताया कि हर वर्ष बीस भादों पर हजारों श्रद्धालुओं ने मणिकर्ण में बीस भादों पर्व पर पवित्र स्नान किया। ऐसा माना जाता है कि भादों माह में पहाड़ों पर उगने वाली जड़ी-बूटियां पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं और वे अपने औषधीय गुणों को पानी में छोड़ देती हैं। 20 भादों को स्नान करने पर कई चर्म रोगों का खात्मा हो जाता है। लिहाजा, देवभूमि कुल्लू में बीस भादो पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। लिहाजा, बीस भादों पर्व के मौके पर संगम तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। ठंड के बीच श्रद्धालुओं ने सुबह से ही ब्यास-पार्वती जिया संगम पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई।