टीएमसी में दवाइयों के लिए लाइनों में कसरत

Update: 2024-05-05 10:59 GMT
टीएमसी। डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल के सुपरस्पेशियलिटी परिसर में दवाइयों के एक काउंटर होने से मरीज परेशान हो रहे हैं। टीएमसी के सुपरस्पेशियलिटी में कार्डियोलोजी विभाग, न्यूरोलॉजी, सीटीवीएस विभाग, कैंसर विभाग, नेफ्रोलॉजी विभाग, गैस्ट्रोलॉजी विभाग, एंडोक्रोनोलॉजी विभाग सहित गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दूर दराज व अन्य जिलों चंबा, मंडी, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू व सबसे बड़े जिला कांगड़ा से प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं। ऐसे में दवाई लेने के लिए पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग लाइनें लगाई जाती हैं परंतु दवाई का एक काउंटर होने से दूर दराज से आए मरीज बहुत परेशान होते हैं और मरीजों को घंटों खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। अगर दो काउंटरों की व्यवस्था होती तो समय की भी बचत हो सकती है।

दूर से आए मरीजों ओंकार सिंह चौहान, सोमदत्त शर्मा, सतीश कुमार, जितेंद्र सिंह, मुल्क राज, देश राज, विरेंद्र कुमार ने बताया कि टांडा अस्पताल के सुपरस्पेशलिटी परिसर में दवाइयों के एक काउंटर होने की वजह से दो से तीन घंटे व्यर्थ हो जाते हैं। बुर्जुग, महिलाएं व बच्चे इतनी देर खड़े होने में पूरी तरह से असमर्थ होते हैं। अगर किसी का कोइ टैस्ट जैसे सिटी स्कैन, एमआईआर, एक्सरे या अन्य कोइ और टैस्ट लिखा हो तो बहुत समय लग जाता है। ऐसे में चार बजे के बाद यह दवाइयों का काउंटर बंद हो जाता है जिसके कारण बुर्जुग, महिला व बच्चों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं और समय अलग से व्यर्थ होता है। अधिकतर दूर से आए मरीजों को घर वापसी के लिए बसें भी छूट जाती हैं। इसलिए इन मरीजों ने अस्पताल प्रशासन से गुहार लगाई है की कम से कम दो दवाइयों के काउंटर की व्यवस्था की जाए ताकि मरीजों को घंटों लंबी कतारों में न खड़ा होना पड़े। टीएमसी के ग्राउंड फ्लोर में एक तरफ दवाइयों का काउंटर तो दूसरी तरफ़ पर्चियों का काउंटर है जिसके चलते दोनों तरफ लंबी-लंबी लाइनें बाहर तक लग जाती हैं जिसके कारण व्हील चेयर पर लाने व जाने वाले मरीजों को अच्छी खासी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
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