'हर नागरिक को सरकार के फैसले की आलोचना करने का अधिकार'...पुलिस को भी फटकारा, SC की सख्त टिप्पणी

अदालत का कहना है कि किसी को भी कानून के दायरे में रहकर आलोचना करने का अधिकार है।

Update: 2024-03-08 02:35 GMT
नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने की आलोचना करना और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देना अपराध नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक निर्णय दिया और WhatsApp स्टेटस के चलते घिरे एक कॉलेज प्रोफेसर को राहत दे दी। अदालत का कहना है कि किसी को भी कानून के दायरे में रहकर आलोचना करने का अधिकार है।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच का कहना है कि हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत बात कहने का अधिकार है। कोई भी नागरिक किसी अन्य देश के नागरिक को उनके स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दे सकता है। इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा, 'अगर भारत का एक नागरिक पाकिस्तान के नागरिकों को 14 अगस्त को उनके स्वतंत्रता दिवस पर बधाई देता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यह सद्भावना का प्रतीक है। अपीलकर्ता के उद्देश्यों पर सिर्फ इसलिए सवाल नहीं उठाए जा सकते कि क्योंकि वह एक विशेष धर्म से है।'
याचिकाकर्ता जावेद हजाम महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के संजय घोडावत कॉलेज में प्रोफेसर है। इससे पहले वह कश्मीर के बारामूल का निवासी था और रोजगार के लिए महाराष्ट्र आया था। खबर है कि उन्होंने स्टेटस लगाए जिनमें कहा गया, '5 अगस्त- जम्मू-कश्मीर ब्लैक डे, 14 अगस्त- पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं, अनुच्छेद 370 खत्म किया गया इससे हम खुश नहीं हैं।'
उनके खिलाफ IPC की धारा 153ए के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय में याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने शीर्ष न्यायालय का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस मामले में कोर्ट ने पाया है कि पहले और दूसरे स्टेटस को पढ़कर यह कहा जा सकता है कि अपीलकर्ता सिर्फ सरकार के फैसले की आलोचना कर रहा था।
अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने की आलोचना पर कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक को सरकार के फैसले की आलोचना का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सरकार के फैसले की आलोचना करना IPC की धारा 153ए के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।
अदालत ने कहा, 'यह अपीलकर्ता की तरफ से भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले और बाद में इस आधार पर उठाए गए कदमों का सिर्फ विरोध है। अनुच्छेद 19(1)(a) बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी देता है। इस गारंटी के तहत हर नागरिक को अनुच्छेद 370 खत्म होने या राज्य के हर फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। उनके पास यह कहने का अधिकार है कि वह राज्य के किसी फैसले से खुश नहीं हैं।'
इस कार्रवाई को लेकर अदालत ने पुलिस को भी फटकार लगाई। साथ ही कहा कि समय आ गया है कि पुलिस व्यवस्था को भी अनुच्छेद 19(1)(a) के बारे में और ज्यादा जानकारी दी जाए।
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