पर्यावरण मंत्रालय ने किया योजना में बदलाव, तेजी से बढ़ते छोटे शहरों में भी स्थापित होंगे नगर वन
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि नगर वन सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि तेजी से बढ़ते छोटे शहरों और कस्बों में भी स्थापित होंगे।
नई दिल्ली, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि नगर वन सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि तेजी से बढ़ते छोटे शहरों और कस्बों में भी स्थापित होंगे। इसके लिए पूरी योजना में बदलाव किया गया है। साथ ही इसकी संख्या बढ़ाकर चार सौ तक की जा सकती है। इसके साथ ही देश में पहली बार डाल्फिन सहित दूसरे जलीय जीवों की राष्ट्रीय स्तर पर गणना का भी फैसला लिया गया है। इसके लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकाल भी जारी कर दिए गए हैं। अभी तक इस तरह से गणना सिर्फ वन्यजीवों की ही होती थी।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री शनिवार को आजादी का अमृत महोत्सव सप्ताह के शुभारंभ के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने इस दौरान नगर वन योजना के विस्तार पर जोर दिया और कहा कि बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों और कस्बों में भी नगर वन स्थापित होने चाहिए। योजना में बदलाव के बाद यह शहर के पांच किमी तक के क्षेत्र में स्थापित किए जा सकते हैं।
शहरों के आसपास नगर वन के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने की दिक्कत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। नियमों के तहत नगर वन के लिए 50 हेक्टेयर भूमि जरूरी है। खास बात यह है कि मंत्रालय इससे पहले भी योजना को दो बार विस्तार दे चुका है। इसमें पहले सौ नगर वन स्थापित करने का प्रस्ताव था। बाद में इसे बढ़ाकर दो सौ कर दिया गया था। नगर वन की स्थापना के लिए केंद्र सरकार वित्तीय मदद मुहैया कराती है, जिसमें उस क्षेत्र बाउंड्री आदि की लागत शामिल है।
जलीय जीवों की पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर गणना कराने के फैसले के तहत सभी प्रमुख नदियां खासकर गंगा, सिंधु और उसकी सहायक नदियां शामिल हैं। इन दौरान जिन राज्यों में सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा, उनमें असम, बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब आदि शामिल हैं। माना जा रहा है कि इस गणना के बाद गंगेटिक डाल्फिन प्रोजेक्ट को मजबूती देने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए गाइडलाइन भी जारी की।