Encounter केस: जांच आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिपोर्ट, रेप के चार आरोपियों का क्यों हुआ एनकाउंटर बताया

जानिए पूरा मामला।

Update: 2022-01-31 10:10 GMT

नई दिल्ली: हैदराबाद में दो साल पहले गैंगरेप और मर्डर के जिन चार आरोपियों का एनकाउंटर हुआ था, उससे जुड़ी रिपोर्ट कमीशन ने दाखिल कर दी है.

हैदराबाद में पशु चिकित्सक का पहले रेप हुआ था, फिर उसके बाद उसे जलाकर मार दिया गया था. इस केस में चार आरोपी पकड़े गए थे, बाद में पुलिस से बचकर भागते वक्त इनका एनकाउंटर किया था. यह संदिग्ध एनकाउंटर किन हालातों में हुआ था, इसकी जांच के लिए कमीशन बनाया गया था, जिसने अब जांच रिपोर्ट दी है.
यह कमीशन सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाया गया था. दो साल चली इस जांच की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर ने की. इस जांच में बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरपी सुन्दर बालदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक डॉ डीआर कार्यिकेयन भी शामिल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने रिट याचिका 348/ 2019 पर सुनवाई करते हुए 12 दिसंबर 2019 को इस आयोग को गठित कर जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी.
रेप के बाद पेट्रोल छिड़कर लगाई थी आग
हैदराबाद में रेप के इन चारों आरोपियों को पुलिस ने 2019 में कथित मुठभेड़ में मार गिराया था. रेप और हत्या कर पीड़ित युवती दिशा के शव को पेट्रोल डाल कर जलाने के आरोपी मोहम्मद आरिफ, चिंतकुंटा चिन्नकेश्वरुलु, जोलू शिवा और जोलू नवीन पुलिस की हिरासत में थे और रात को हुई घटना के अगली सुबह यानी 6 दिसंबर 2019 को ही पुलिस की कथित मुठभेड़ में मारे गए थे.
उस दौरान पुलिस इनको सीन रीक्रिएट करने के लिए घटनास्थल पर लेकर गई थी. वहीं इन्होंने कथित तौर पर भागने की कोशिश की थी.
आयोग ने 21.08.21 से 15.11.21 के दौरान कोविड पाबंदियों और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 47 दिनों तक की गई सुनवाई में 57 लोगों से पूछताछ की और उनके बयान रिकॉर्ड किए. जांच की शुरुआत सबूत और दस्तावेज जुटाने से हुई है. इस सिलसिले में पहले रेप, मर्डर और सबूत नष्ट करने की एफआईआर, फिर मुठभेड़ में इनके मारे जाने की एफआईआर, सभी की सीसीटीवी फुटेज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट आदि जुटाई गई.
फिर 16 नवंबर से 26 नवंबर 2021 के दौरान केस से जुड़े वकीलों की मौखिक दलीलें सुनीं गईं. आयोग के लोग खुद घटना स्थल के साथ-साथ मुठभेड़ स्थल और पेट्रोल पम्प सहित कई जगहों पर गए थे. 28 जनवरी 2022 को ये रिपीट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है.
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