औषधीय पौधों के संरक्षण पर जोर

Update: 2024-05-19 12:11 GMT
सोलन। शूलिनी विश्वविद्यालय में हिमालयी क्षेत्र में औषधीय पौधों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया। जिसमें सीएसआईआर हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के प्रधान वैज्ञानिक डा. अमित चावला ने लुप्तप्राय औषधीय पौधों के संरक्षण पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका और इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। शूलिनी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज में सहायक प्रोफेसर डा. राधा ने उत्तर-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के ठंडे रेगिस्तान में पारंपरिक औषधीय ज्ञान में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की।

उनकी प्रस्तुति में सौसुरिया ओब्वालाटा एक पवित्र पौधा जो अपनी शुद्धता और उपचार गुणों के लिए प्रतिष्ठित है पर प्रकाश डाला गया। प्रो. सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मोरिंगा ओलीफेरा के उल्लेखनीय लाभों को प्रस्तुत किया, जिसे व्यापक रूप से द मिरेकल ट्री के रूप में जाना जाता है। उन्होंने पेड़ की पोषक तत्वों से भरपूर पत्तियों और उनके विभिन्न स्वास्थ्य अनुप्रयोगों के साथ-साथ बीजों की दूषित पानी को शुद्ध करने की क्षमता के बारे में विस्तार से बताया। वहीं डा. अक्षय शर्मा ने आयुर्वेद के वैश्विक पुनरुत्थान पर बात की जो चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली है। इस दौरान डा. शर्मा ने आयुर्वेद में बढ़ती वैश्विक रुचि और आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने पर प्रकाश डाला। इस मौके पर शूलिनी विश्वविद्यालय के मुख्य शिक्षण अधिकारी और सेमिनार संयोजक डा. आशु खोसला मौजूद रहे।
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