ठंड से लंग्स फाइब्रोसिस के छह मरीजों समेत आठ रोगियों की मौत

कानपुर में शीत लहर तेज होते ही सांस के पुराने मरीजों की जान पर आफत आ गई है

Update: 2021-12-18 16:44 GMT

कानपुर में शीत लहर तेज होते ही सांस के पुराने मरीजों की जान पर आफत आ गई है। शनिवार को फेफड़ों की फाइब्रोसिस के छह मरीजों समेत आठ की मौत हो गई। ये मरीज इलाज से अभी तक बॉर्डर लाइन पर चल रहे थे। दवाओं से इनकी स्थिति नियंत्रित थी, लेकिन शीतलहर चलते ही सांस में अचानक दिक्कत हो गई और सांस तंत्र फेल हो गया।

हैलट और निजी अस्पतालों में अस्थमा और दमा (सीओपीडी) के मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया। इनमें से कई मरीज वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शीतलहर के कारण मरीजों की सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और खून का थक्का जम जाता है।
खून का थक्का जिस अंग में जाता है, वह फेल हो जाता है। शुक्रवार शाम से शीतलहर के गति पकड़ते ही सांस के रोगियों का बुरा हाल हो गया। अचानक ठंडक होने से खासतौर पर दमा और अस्थमा के रोगियों को एक्सपोजर हो गया।
इससे रोग का अटैक पड़ा और मौत हो गई। शनिवार तड़के रामकुमार (62) और रजनीश (57) की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि उनका इलाज लालबंगला के निजी अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन के यहां चल रहा था।
इसी तरह काकादेव के जगदीश (72), कल्याणपुर की विमला (62) और ज्योति प्रसाद (56) की क्षेत्र के निजी अस्पताल में मौत हुई। इनका इलाज डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में ओपीडी स्तर पर चल रहा था।
विमला के बेटे अशोक ने बताया कि सांस उखड़ने पर उन्हें पास के नर्सिंगहोम में ले गए थे। इन सभी मरीजों को लंग्स फाइब्रोसिस था। संक्रमण के कारण फेफड़े सिकुड़ गए थे। कोरोना की पहली लहर में संक्रमित हुए ककवन के राजेंद्र (63) और बिरहाना रोड के राजीव (58) की भी मौत हो गई।
एक्सरे जांच में उनके फाइब्रोसिस मिली थी। दोनों का इलाज निजी अस्पताल के चिकित्सक के यहां चल रहा था। उन्हें सांस में दिक्कत थी। दोनों डायबिटीज के पुराने रोगी थे। राजेंद्र को परिजन शनिवार सुबह एंबुलेंस से हैलट के लिए लेकर निकले थे, लेकिन रास्ते में ही मौत हो गई।
राजीव को परिजन निजी अस्पताल ले गए थे। इसी तरह मंधना के सीओपीडी मरीज राघव (47) की मौत हुई। पहले उन्हें चेस्ट हॉस्पिटल लाया गया। यहां आईसीयू ने होने से हैलट भेजा गया। वहां मौत हो गई।
टीबी-चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद ने बताया कि क्रोनिक मरीजों को ठंड से बचाव की जरूरत है। वहीं सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. राजीव कक्कड़ ने बताया कि ठंड की वजह से दमा और अस्थमा रोगियों की हालत गंभीर हो रही है। ऐसे रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
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