Eid al-Adha 2021: बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी पर कोई बैन नहीं, J&K प्रशासन ने दी सफाई
जम्मू-कश्मीर में बकरीद यानी ईद उल अजहा के मौके पर जानवरों की कुर्बानी पर रोक संबंधी पत्र और खबरें सामने आने के बाद त्योहार के मौके पर सरगर्मी बढ़ गई थी. दरअसल मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ऐसे किसी भी प्रतिबंध को अस्वीकार्य बताते हुए नाराजगी जताई थी. जिसके बाद प्रशासन की सफाई आई है. इस दौरान प्रशासन ने साफ किया है कि जानवरों की कुर्बानी देने पर कोई बैन नहीं लगाया गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में बकरीद यानी ईद उल अजहा (Eid al-Adha) के मौके पर जानवरों की कुर्बानी पर रोक संबंधी पत्र और खबरें सामने आने के बाद त्योहार के मौके पर सरगर्मी बढ़ गई थी. दरअसल मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ऐसे किसी भी प्रतिबंध को अस्वीकार्य बताते हुए नाराजगी जताई थी. जिसके बाद प्रशासन की सफाई आई है. इस दौरान प्रशासन ने साफ किया है कि जानवरों की कुर्बानी देने पर कोई बैन नहीं (No ban on animal sacrifice) लगाया गया है.
'प्रशासन ने कहा गलतफहमी हुई'
पशु कल्याण की तरफ से हर साल एडवाइजरी जारी की जाती है. वहीं, पत्र भेजने वाले पशुपालन अधिकारी (Animal Husbandry officer) ने कहा कि उनके आदेश को गलत समझा गया है. अधिकारी के मुताबिक, 'वो पत्र पशु कल्याण बोर्ड की तरफ से भेजा गया दस्तावेज था जिसे उन्होंने विभागीय कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आगे बढ़ाया था. इसे गलत समझा गया है. जानवरों की कुर्बानी पर कोई प्रतिबंध नहीं है.'
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक विभागीय अधिकारी ने कहा कि इस पत्र के जरिए बोर्ड ने कसाईखाने के बाहर जानवरों की कुर्बानी पर रोक लगाई थी. वहीं, घाटी में कोई भी कसाईखाना नहीं है. ऐसे में सोशल मीडिया पर पत्र के सामने आते ही तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. अधिकारी ने कहा, 'ये आदेश केवल नगरपालिका क्षेत्रों के लिए है. गांवों में लोग वैसे ही कुर्बानी दे सकते हैं, जैसे वे देते हैं. वध पर कोई प्रतिबंध नहीं है.'
पत्र में था ये आदेश
पत्र के मुताबिक भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने पशु कल्याण के मद्देनजर पशु कल्याण कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए सभी एहतियाती उपायों को लागू करने का अनुरोध किया गया था. इसमें पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, पशु कल्याण नियम, 1978, पशुओं का परिवहन (संशोधन) नियम, 2001, कसाईखाना नियम, 2001 के तहत त्योहार के दौरान जानवरों (जिसके तहत ऊंटों का वध नहीं किया जा सकता) के वध के लिए भारतीय नगरपालिका कानून और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का हवाला देते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे.