पहले करते थे कबाड़ खरीदने-बेचने का काम, अब इस कारोबारी ने दान किया 150 करोड़

Update: 2022-03-09 01:33 GMT

दिल्ली। देश में मेटल और एनर्जी सेक्टर के बड़े कारोबारी घरानों में से एक वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) के प्रमुख अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. मात्र 19 साल की उम्र में वो बिहार के पटना से मुंबई आए और छोटी सी दुकान से अपना करियर शुरू किया और आज इतने बड़े औद्योगिक समूह के प्रमुख हैं. लेकिन हमेशा से उनका जीवन ऐसा नहीं था.

अनिल अग्रवाल ने अपनी मां के बलिदान और त्याग की कहानी को ट्विटर पर शेयर किया है. उन्होंने ट्वीट (Anil Agarwal Twitter) करके लिखा, ''मां, मेरे बचपन को तुम्हारे बलिदान ने सींचा और मुझे मेरे सपने पूरे करने का मौका दिया. उस समय तुम्हें 4 बच्चों का पेट भरने के लिए महज 400 रुपये मिलते थे, लेकिन तुमने हमेशा ये सुनिश्चित किया कि हम सभी के पेट पूरी तरह भरे रहें. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मैं अब भी तुम्हारे साथ रहता हूं और तुम मुझे हर रोज प्रेरणा देती हो.

अनिल अग्रवाल, आज भले बड़े उद्योगपति हों और करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हों. लेकिन मध्यमवर्गीय मूल्य उनके जीवन से जुड़े रहे. अंततराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के मौके पर उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी के उनके जीवन में योगदान का भी जिक्र किया. कोरोना काल में भी वेदांता समूह ने लोगों की मदद के लिए 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि दान की थी. अनिल अग्रवाल ने इससे पहले एक ट्वीट में अपने शुरुआती संघर्ष की कहानी भी कही थी. उन्होंने कहा था कि मुंबई आने पर उन्होंने सबसे पहले भोईवाड़ा के मेटल मार्केट में 8x9 फुट का ऑफिस किराये पर लिया और वहीं पर मेटल के कबाड़ को बेचने का काम शुरू किया. आज उनके वेदांता ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन ही 1.41 लाख करोड़ रुपये है.


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