ई-रिक्शा चोर गिरोह का भांडाफोड़, 3 सदस्य गिरफ्तार

जानिए क्या है पूरा मामला

Update: 2023-04-20 16:49 GMT
नोएडा। नोएडा में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। प्रेस कांफ्रेंस में चोर ने पुलिस के गुड वर्क की पोल खोल दी। इसका एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में चोर ने कह रहा है कि चोरी का मामला झूठा है। वह खुद ही दो दिन पहले थाने आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। जबकि पुलिस का कहना है कि मुखबिर की सूचना पर चोरी की योजना बनाते हुए आरोपियों को पकड़ा है। हालांकि पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की खूब किरकिरी हो रही है। गिरफ्तार चोर ने अपना नाम बाबू बताया है। प्रेस कांफ्रेंस में बाबू ने बताया कि एक भी ई-रिक्शा चोरी का नहीं है। ई-रिक्शा पार्किंग में खड़ा था, उसको बताया कि चोरी का है। सब ई-रिक्शा मालिक थाने के बाहर खड़े हैं। मुझे 2 दिन से थाने में बैठा रखा था। ये ई-रिक्शा पार्किंग में लगाते हैं। मैं खुद ही थाने आया था ई-रिक्शा छुड़वाने के लिए। इसके बाद मुझे पकड़ लिया इसके बाद पुलिस अधिकारी आरोपी को चुप कराते हैं। सिपाही सभी आरोपियों को लेकर चला जाता है। दरअसल, मामला कोतवाली फेस वन का है।
गुरुवार को पुलिस ई-रिक्शा चोरों को गिरफ्तार कर मीडिया के सामने घटना का खुलासा कर रही थी। प्रेस वार्ता के दौरान पुलिस ने दावा किया कि उसने 12 ई-रिक्शा चोरी के बरामद किए हैं। साथ ही 3 चोरों को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया है। पुलिस ब्रीफिंग के दौरान एक चोर ने चोरी की घटना को कबूला नहीं, उसने पुलिस पर झूठे तरीके से फंसाने का आरोप लगा दिया। पुलिस ने चोरों की पहचान बाबू, वासिफ और मुकद्दर उर्फ बिट्टू के रूप में की है। पुलिस ने दावा किया कि मुखबिर की सूचना पर इन्हें गिरफ्तार किया गया है। यह आरोपी चोरी की घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे, तभी इन्हें पकड़ा गया है। एडीसीपी ने शक्ति अवस्थी ने बताया कि पकड़े गए तीनों लोग शातिर किस्म के अपराधी है। ये मौका पाकर ई रिक्शा की चोरी करते थे। पकड़ा गया बाबू ने सेक्टर-10 में अवैध रूप से ई-रिक्शा की पार्किंग बनाई है। यहां अवैध रूप से वो बैटरी की चार्जिंग करवाता था। इसका कोई लाइसेंस इसके पास नहीं है। इन्हीं ई रिक्शा के बीच में वह चोरी किए गए ई-रिक्शा भी रखता था। चोरी किए गए ई-रिक्शों से सवारी ढोने का काम होता था। ई-रिक्शा का न तो कोई रजिस्ट्रेशन नंबर था और न ही कोई चेचिस नंबर। लगातार शिकायत मिलने के बाद जब छानबीन की गई तो इन गिरोह को पकड़ा गया। पुराने होने या जर्जर होने पर ये ई रिक्शा के पार्ट अलग कर बेच देते थे।
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