विस्थापन के विरोध में डूटा का धरना, तदर्थ शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति की मांग
नई दिल्ली (आईएएनएस)| डूटा के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय के बारह कॉलेजों में विलंब से ग्रांट मिलने के कारण शिक्षकों को समय से वेतन और सेवानिवृत शिक्षकों को पेंशन नही मिल पा रही है। कई कॉलेजों में तदर्थ शिक्षकों का विस्थापन हो रहा है। कई कॉलेजों में नॉट फाउंड सूटेबल और वर्कलोड बैच का आकार कम कर दिया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की इन नीतियों का विरोध कर रहे शिक्षकों के समर्थन में अब दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ भी आगे आया है। विरोध कर रहे शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार, गेट नंबर 1 पर अपनी इन आत्तियों को लेकर धरना दिया।
ग्रांट की कमी झेल रहे यह कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित है दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने कहा कि विस्थापन की प्रकिया को तुरंत रोका जाना चाहिए। लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों को बाहर किया जाना अमानवीय है और इससे कार्यरत तदर्थ शिक्षक समुदाय में सामाजिक असुरक्षा को बढ़ावा मिलता है जो कि शिक्षा, शिक्षक और विश्वविधालय के हित में नहीं है। तदर्थवाद की समस्या नियमित रूप से भर्ती प्रक्रिया नहीं होने के कारण हुई है। इसके लिए शिक्षक नहीं बल्कि विश्वविधालय प्रशासन जिम्मेदार है। अब इन योग्य और होनहार तदर्थ शिक्षकों को बाहर किया जा रहा है या नॉट फाउंड सूटेबल करार किया जा रहा है जो डूटा को स्वीकार्य नहीं है।
डूटा अध्यक्ष ने दोहराया कि डूटा तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग पर संकल्पबद्ध है।
प्रो अजय कुमार भागी ने कहा कि विस्थापन के कारण अनेक शिक्षक सड़क पर आ गए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को दोबारा से तदर्थ शिक्षक नियुक्ति की प्रकिया शुरू करनी चाहिए ताकि इन विस्थापित हुए प्रतिभासंपन्न शिक्षकों को अवसर मिल सके।
डूटा अध्यक्ष ने पिछले कई वर्षों से दिल्ली सरकार के वित पोषित बारह कॉलेजों और अन्य कुछ कॉलेजों में कुछ समय विलंब से ग्रांट मिलने पर चिंता जताई और कहा कि डूटा इस मुद्दे पर अत्यंत गंभीर है। उन्होंने कहा कि ग्रांट नियमित कराने के मुद्दे पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी ताकि सभी शिक्षकों को समय से वेतन और सेवानिवृत शिक्षकों को पेंशन मिल सके।
डूटा ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण से बढ़े हुए शिक्षक पदों को तुरन्त प्रभाव से जारी करने की मांग भी की। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में प्रबन्ध समितियों का गठन किया जाए ताकि कामकाज सुचारू रूप से चल सके।
डूटा उपाध्यक्ष डा प्रदीप कुमार ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में नॉट फाउंड सूटेबल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थी को निर्धारित न्यूनतम योग्यता पूर्ण करने पर ही बुलाया जाता है। डूटा ने बताया कि उन्होने डीयू के विभागों में सेवानिवृति के बाद पांच साल बढ़ाकर कांट्रेक्ट पर अध्यापन हेतु सत्तर वर्ष आयु किए जाने को लेकर भी विरोध जताया है।