लाशों का डंपिंग ग्राउंड: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा नदी में बहाई गई थी लाशें....गंगा मिशन के चीफ ने माना

Update: 2021-12-24 06:26 GMT

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नई दिल्ली. गुरुवार को लॉन्च हुई एक नई किताब में दावा किया गया है कि पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर (Covid-19 2nd Wave) के दौरान गंगा नदी (Ganga) में लाशें बहाई गई थी. साथ ही लिखा गया है उत्तर प्रदेश में लाशों को फेंकने के लिए ये एक आसान जगह बन गई थी. इस किताब का शीर्षक है- गंगा: रीइमेजिनिंग, रिजुवेनेटिंग, रीकनेक्टिंग. इस किताब के लेखक हैं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक और नमामि गंगे के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा और एनएमसीजी के साथ काम कर चुके आईडीएएस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय. बता दें कि पिछले साल उत्तर प्रदेश और बिहार से कई सारी तस्वीरें वायरल हुई थी जहां दावा किया गया था कि लोग कोरोना से मौत के बाद लाशों को गंगा में बहा रहे हैं. हालांकि सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया था.

राजीव रंजन मिश्रा 1987-बैच के तेलंगाना-कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और दो कार्यकालों के दौरान पांच साल से अधिक समय तक एनएमसीजी में सेवाएं दे चुके हैं. मिश्रा 31 दिसंबर, 2021 को रिटायर होने वाले हैं. पुस्तक को गुरुवार को प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने लॉन्च किया.
300 से ज्यादा शव फेंके गए
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेसके मुताबिक किताब के एक चैप्टर में गंगा पर कोरोन महामारी के प्रभाव को बताते हुए लिखा है, 'जैसे-जैसे कोविड -19 महामारी के चलते शवों की संख्या बढ़ी अंतिम संस्कार करने के लिए जगह का दायरा भी बढ़ता गया. यूपी और बिहार के श्मशान घाटों पर जलती चिताओं के बीच, गंगा नदी शवों के लिए एक 'आसान डंपिंग ग्राउंड' बन गई.' जिलों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा गया है कि 300 से ज्यादा शव नदी में नहीं फेंके गए थे जैसा कि 1000 शवों को बहाने की बात कही गई थी.
'दर्दनाक और दिल तोड़ने वाला अनुभव '
किताब के कुछ अंश ये स्पष्ट करते हैं कि वे मिश्रा द्वारा लिखे गए है. उदाहरण के लिए, पुस्तक में कहा गया है: ' मई के महीने में जब मैंने पवित्र गंगा में तैरती लावारिस और अधजली लाशों के बारे में सुना तो मैं उस वक्त गुरुग्राम स्थित मेदांता, अस्पताल में कोरोना से उबर रहा था.' उन्होंने आगे लिखा है, 'टेलीविज़न चैनल, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और सोशल मीडिया साइट्स भयानक तस्वीरों और शवों को नदी में फेंके जाने की कहानियों से भर गए थे. ये मेरे लिए एक दर्दनाक और दिल तोड़ने वाला अनुभव था. एनएमसीजी के महानिदेशक के रूप में, मेरा काम गंगा को साफ रखना था.'
11 मई को, जब दूसरी लहर पीक पर थी, मिश्रा के नेतृत्व में एनएमसीजी ने सभी 59 जिला गंगा समितियों को तैरते हुए शवों के बारे में रिपोर्ट मांगी थी. कुछ दिनों बाद, इसने यूपी और बिहार को इस मुद्दे पर एक "विस्तृत रिपोर्ट" प्रस्तुत करने के लिए कहा, जिसके बाद यूपी ने गंगा और उसकी सहायक नदियों से लावारिस लाशों के जिले-वार डेटा का मिलान करना शुरू कर दिया. बाद में, यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक बैठक में केंद्रीय अधिकारियों को बताया कि राज्य के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में नदियों में शव मिले थे.
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