ताने मारने लगे लोग! डॉक्टरों ने उठाया ये कदम, जानें नाबालिग लड़की की स्टोरी
लखनऊ: गरीबी किसी को कितना मजबूर कर सकती है इसे 17 साल की प्रतापगढ़ की इस लड़की के उदाहरण से समझा जा सकता है। इस लड़की को 11 महीने तक लोग गर्भवती समझकर ताने देते रहे। घर से निकलना मुश्किल हो गया। लड़की को लेकर उसकी मां डॉक्टरों के यहां खूब दौड़ी लेकिन इलाज के लिए उनकी मांग को पूरा नहीं कर सकी सो केजीएमयू लखनऊ आने तक पता ही नहीं चला कि लड़की गर्भवती नहीं बल्कि उसके पेट में ट्यूमर है। डॉक्टरों ने यहां ऑपरेशन कर उसके पेट से 15 किलोग्राम का ट्यूटर निकाला।
प्रतापगढ़ स्थित रानीगंज के दुर्गागंज गांव निवासी रागिनी (बदला नाम) के पति 16 साल पहले पत्नी और बेटी को छोड़कर चले गए थे। रागिनी ने गांव में ही दूसरे व्यक्ति से विवाह कर लिया। उससे रागिनी की दो और बेटियां हुईं लेकिन दूसरे पति की मारपीट से तंग आकर वह बेटियों को लेकर मायके आ गई।
गांव में छप्पर के नीचे रहने लगी। इसी दौरान 17 साल की बड़ी बेटी के पेट में दर्द शुरू हुआ। लड़की पीड़ा में कराहती रही और लोग उसे गर्भवती समझते रहे। लड़की का पेट फूल गया था। जांच और इलाज के अभाव में वह घर पर ही पड़ी रही। इस बीच लोग उसे खूब ताने देते रहे। धीरे-धीरे एक-दो नहीं 11 महीने बीत गए।
जब लड़की के गर्भवती होने का शक खत्म हो गया तो गांव के प्रधान ने स्वास्थ्य कार्यकत्री को बुलाया। यूरिन जांच में गर्भावस्था की पुष्टि नहीं हुई। उधर, लड़की की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने किशोरी को जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने लड़की को प्रयागराज भेज दिया। डॉक्टरों ने इलाज पर डेढ़ लाख रुपये का खर्च बताया। गरीब परिवारीजनों ने इतनी बड़ी रकम देने में खुद को असमर्थ बताया तो डॉक्टरों ने लड़की को केजीएमयू भेज दिया।
केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने किशोरी की जांचें कराईं। केजीएमयू प्रशासन ने सारी जांच, भर्ती शुल्क माफ कर दिया। डॉ. सुरेश ने बताया कि अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन समेत खून की कई तरह की जांच कराई गई।
जांच में पेट में पता चला कि लड़की के पेट में 15 किलो का ट्यूमर है। इसके बाद केजीएमयू के डॉ. सुरेश ने ऑपरेशन का फैसला किया। 11 अगस्त को ऑपरेशन कर ट्यूमर निकाला गया। ऑपरेशन के बाद किशोरी पूरी तरह से सेहतमंद है। ऑपरेशन टीम में डॉ. संजीव कुमार, सीनियर रेजिडेंट डॉ. आदेश शामिल हुए।
केजीएमयू प्रशासन ने जांच और दवाएं आदि मुहैया कराईं। डॉ. सुरेश ने डिस्चार्ज के बाद युवती को घर तक जाने का किराया और भोजन आदि के लिए भी मदद की। डिस्चार्ज के बाद लड़की ने फिर से पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की है। लड़की की मां चाहती है कि उसे सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए।