Kangra. कांगड़ा। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्तवावधान में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के सप्तम एवं अंतिम दिवस कथा व्यास डा. सर्वेश्वर ने रावण वध की गाथा को भक्तों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जब प्रभु श्रीराम रावण को वाण का संधान करते हैं और रावण धरती पर गिर जाता है तब लक्ष्मण जी को प्रभु श्रीराम रावण के पास भेजते हैं कि रावण बहुत विद्वान है, उनसे कोई सीख लेकर आओ, जब रावण के पास श्री लक्ष्मण जी जाते हैं, तब रावण लक्ष्मण जी से कहता है लक्ष्मण मेरे में इतनी शक्ति थी कि मैं पृथ्वी लोक से स्वर्ग लोक तक एक सीढ़ी का निर्माण कर सकता था, परंतु मैंने काल तक टाल दिया। कल कभी नहीं आता, कल के बदले काल ही आता है।
इसलिए हमारे संत भी हमें समझतेे हुए कहते हैं ’कल करें सो आज कर’ अपने बहुमूल्य समय को व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए, जितना जल्दी हो सके मानव जीवन के उद्देश्य को समझते हुए प्रभु भक्ति के लिए हमें समय के संत सद्गुरु की खोज करनी चाहिए। यह जीवन क्षणभंगुर है पता नहीं कब समाप्त हो जाए, इसलिए समय के सद्गुरु की शरणागत हो, उस ईश्वर का साक्षात्कार करके अपने जीवन को हमें सफल कर लेना चाहिए। स्वामी ने बताया कि आए जिज्ञासुओं आज जरूरत है। पूर्ण गुरु की पहचान को प्राप्त करने की। पूर्ण गुरु वहीं होते हैं, जो दीक्षा देते समय तत्क्षण ही मस्तक पर हाथ रख ईश्वर का दर्शन घट में ही करवा देते हैं। कथा के अंतिम दिवस कथा पंडाल में दीपावली उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें भक्तों ने नृत्य कर खूब आनंद लूटा। सोमवार की सभा में एसडीएम इशांत जसवाल कांगड़ा आईएएस, डा. विवेक सिंह अरनी यूनिर्वसीटी चांसलर, डा. मनीष श्रीवास्तव, वेद शर्मा, असीम शर्मा, दविंद्र कोहली, अंकिता कोहली, अमनदीप कोहली, अनुज कोहली व आदि ने अपनी हाजिरी लगाई कथा का समापन आरती से किया गया।