कोरोना से डरना नहीं, सावधानी बरतनी बेहद जरूरी, कैसे घर पर कर सकते हैं हल्के लक्षणों वाले मरीज अपना इलाज, एम्स डॉक्टर ने बताया

Update: 2022-01-11 08:52 GMT

नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण ने अब फुल रफ्तार पकड़ ली है. बीते कुछ दिनों से रोजाना संक्रमितों का ग्राफ डेढ़ लाख को पार कर रहा है. तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन और कोविड संक्रमण के मरीजों में इलाज को लेकर चिंता सता रही है. भले ही नया वैरिएंट तेजी से पैर पसार रहा है लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि यह बहुत माइल्ड है, इससे डरने की जरूरत नहीं है. लेकिन सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है.

कोविड पर क्या कहते हैं एम्स के डॉक्टर
एम्स में चिकित्सा विभाग के प्रो. डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि कोरोना की कोई भी जादुई दवा नहीं है. साथ ही इस संक्रमण का कोई विशेष इलाज अभी तक सामने नहीं आया है. ऐसे में सावधानी रखी जाए. साथ ही रोगियों की कड़ी निगरानी की जाए. साथ ही comorbidity वाले ऐसे बुजुर्ग जिन्हें अभी वैक्सीन नहीं लगी है, उनका खास ख्याल रखने की जरूरत है.
इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दें, दवाओं के भरोसे न रहें
डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि हल्के लक्षण वाले मरीजों का घर पर ही इलाज किया जा सकता है. इसके लिए कतई जरूरी नहीं है कि किसी डॉक्टर को दिखाएं या भारी-भरकर दवाइयां लें. हमें इस मानसिकता से निकलना होगा कि दवाई खाकर ही किसी रोग से ठीक हुआ जा सकता है. इसे घर रहकर मामूली इलाज से भी ठीक किया जा सकता है. तीसरी लहर में Omicron वैरिएंट और कोविड के अधिकतर मरीजों में लक्षण बेहद माइल्ड हैं. बेहतर है कि लोग अपने इम्युनिटी सिस्टम पर विश्वास करें. इसे बढ़ाएं. लिहाजा स्वस्थ जीवन शैली, वैक्सीनेशन और कोविड के बचाव के उपाय अपनाएं.
शरीर के इन अंगों को डैमेज कर सकती है दवा
डॉ. निश्चल ने कहा कि अभी हाल ही में कोविड में मोलनुपिरवीर को मंजूरी मिली है. लेकिन ये कोई जादू की पुड़िया नहीं है. उन्होंने कहा कि मोलनुपिरवीर मनुष्यों की तेजी से विभाजित कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है. जैसे पुरुष में प्रजनन अंगों की कोशिकाएं, गर्भवती महिलाओं में भ्रूण, युवा वयस्कों और बच्चों की हड्डी डैमेज हो सकती है.
ये दवाएं ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रभावी नहीं
एम्स में डॉ. निश्चल के मुताबिक इस दवा के उपयोग को प्रतिबंधित करने के प्रयास किए जाने चाहिए, क्योंकि इसके लाभ से ज्यादा नुकसान हैं. यह Over-the-Counter दवा नहीं बननी चाहिए. साथ ही एक दूसरी दवा जो रोगियों को दी जा रही है, वह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (casirivimab and imdevimab) का कॉकटेल है. यह याद रखना चाहिए कि यह ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रभावी नहीं है.
मोलनुपिरवीर को लेकर बड़ी चिंताएं
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने पिछले सप्ताह कहा था कि मोलनुपिरवीर को लेकर कुछ बड़ी चिंताएं हैं. इसे COVID-19 के इलाज के तौर पर राष्ट्रीय प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया गया है.
अभी 5-10 फीसदी को ही अस्पताल की जरूरत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस बार कोविड के एक्टिव केसों में 5 से 10 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है. अभी हालात स्थिर हैं, लेकिन आगे चलकर संक्रमण खतरनाक हो सकता है. बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में करीब 20-30 फीसदी लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जररूत महसूस की गई थी. आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब फुली वैक्सीनेटेड हो चुका है.
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