केरल। कोझिकोड के हसन इमाम ने व्हीलचेयर पर कन्याकुमारी से सियाचिन तक यात्रा शुरू की। उसने बताया, " सार्वजनिक परिवाहन, पार्क, संग्रहालय जैसे कई जगह हैं जहां रैंप नहीं होता है। इन जगहों पर जाकर रैंप बनाने के लिए जागरूकता फैलानी है क्योंकि हम जैसे लोग वहां कैसे जाएंगे?
दिव्यांगों की सुविधा के लिए सरकार के प्रयास धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगे हैं। कुछ विभागों की बात छोड़ दें तो अधिकतर सरकारी विभागों में आज दिव्यांगों के लिए रैंप और व्हीलचेयर उपलब्ध है। जिससे दिव्यांग आसानी से विभाग में अपने काम के लिए आ जा सकें। मगर अधिकतर विभागों में यह रैंप भी मात्र दिखावा ही साबित हो रहे हैं। कारण, विभागों में रैंप तो बने हैं, लेकिन इनके सहारे दिव्यांगों की पहुंच केवल विभागों के सीमित दायरे तक ही है। किसी विभाग में दिव्यांग को फर्स्ट या सेकेंड फ्लोर पर जाना हो तो उसका इंतजाम ही नहीं है।