दिव्यांग युवक बने शिक्षक, कंधे पर बैठाकर ज्वॉनिंग लेटर लेने पहुंचे दोस्त
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बिहार। मंजिल उसे ही मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. इस वाक्य को नालंदा जिले के पावापुरी में रहने वाले सोनू कुमार ने सच साबित कर दिया है. सोनू के दोनों पैर नहीं है, वे दिव्यांग हैं, चल फिर नहीं सकते फिर भी उन्होंने मेहनत करके बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा क्वालिफाई कर ली है. अब वे गणित के एक शिक्षक बन चुके हैं. कड़ी मेहनत, लग्न और खुद को मोटिवेट करते हुए सोनू यहां तक पहुंच गए हैं, यह वाकई गर्व की बात है. सोनू की ज्वॉइनिंग बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई है.
पैरों से दिव्यांग होने पर सोनू को कई परेशानियां उठानी पड़ती हैं. वे खुद चलकर कहीं जा नहीं सकते, दौड़-भाग नहीं कर सकते हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाया. रिजल्ट आने के बाद वह दोस्तों के कंधे पर बैठकर अपना ज्वॉनिंग लेटर लेने पहुंचे थे. ज्वॉइनिंग लेटर मिलने पर सोनू की खुशी की ठिकाना नहीं था. सिर्फ वही नहीं, आज उनकी इस उपलब्धि पर सोनू के माता-पिता और दोस्त काफी खुश हैं. सोनू ने अपनी दिव्यांगता को नौकरी का आधार नहीं बनाया और सामान्य श्रेणी से शिक्षक बनकर मिसाल कायम कर दी.
आजतक से बातचीत करते हुए सोनू के पिता ने कहा कि दिव्यांगता से कोई फर्क नही पड़ता, लेकिन उससे ज्यादा मानसिक दिव्यांग लोगों से असर पड़ता है. उनका कहना है कि अगर कोई दिवयांग है तो मजाक बनाने के बजाए उसका सहयोग कीजिए, एक दिन जरूर वो कामयाब होंगे आज मेरा बेटा सोनू इसका उदाहरण है.