प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ पर्युषण पर्व के दौरान प्रतापगढ़ में आराधना करने वाले 22 तपस्वियों की सकल जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजा संघ की ओर से विशाल शोभा यात्रा निकाली गई। गुमानजी जैन मंदिर से शुरू हुए इस चल समारोह में सैकड़ों जैन अनुयायी शामिल हुए. रास्ते में जगह-जगह तपस्वियों का सम्मान भी किया गया। सकल जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक संघ के अनिल पोरवाल ने बताया कि श्वेतांबर जैन समाज के पर्यूषण पर्व की आराधना में गुमानजी मंदिर से आठ व्रत व नौ उपवास के साथ घोर तपस्या करने वाले तपस्वियों की शोभा यात्रा निकाली गई। बैंड बाजे और ढोल के साथ निकले। इस जुलूस में प्रतापगढ़ और आसपास के कई शहरों से जैन अनुयायी शामिल हुए. इंद्र विजय के नाम पर निकाली गई शोभा यात्रा में शामिल जैन धर्मावलंबी भक्ति धुनों पर नृत्य कर रहे थे, वहीं जगह-जगह बग्घी व अन्य वाहनों पर सवार साधु-संतों का अभिनंदन किया गया। पोरवाल ने बताया कि जैन समाज में पर्यूषण पर्व की आराधना का बहुत महत्व है।
इस काल में तपस्वी केवल गर्म जल पर निर्भर होकर तपस्या करते थे। तपस्वी सूर्योदय के बाद और सूर्योदय से पहले निश्चित समय पर ही पानी पीते हैं और धार्मिक पूजा में लगे रहते हैं। जुलूस गोपालगंज, सूरजपोल, सदर बाजार होते हुए वापस गुमांजी मंदिर पहुंचा। जहां तपस्वियों की सहमति से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। अरनोद अरनोद व क्षेत्र में बुधवार कोऋषिपंचमीका पर्व महिलाओं ने व्रत रख कर मनाया। महिलाओं ने सवेरे कुओं व नदी पर जाकर स्नान कर गोरेश्वर महादेव, गोतमेश्वर महादेव, रामकुण्ड सहित विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर सप्तऋषियों का पूजन करऋषिपंचमीकी कथा का वाचन किया। पूरे दिन व्रत रखकर हल से बिना जोते अनाज, सामा का सेवन किया। मूंगाणा| कस्बे में रामेश्वर मठ मंडी में भंवरपुरी महाराज द्वारा ग्रामीण सुहागिनी स्त्रियां एवं नव युक्तियां ने विधिवत ऋषि पंचमी व्रत का पूजन एवं कथा का श्रवण किया। महिलाओं के अशुद्धिकाल में भोजन बनने के कारण पाप दोष से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत किया जाता है। इसमें सप्त ऋषियों की मूर्तियां के रूप में मिट्टी से बने हुए सात ऋषियों की प्रतिमा को प्रतीक मान कर कलश एवं फुल द्वारा यह व्रत किया जाता है तथा जिसमें सभी पापों से मुक्ति और बैकुंठ के लिए यह व्रत किया जाता है। घास के बने बीजों हामा का भोजन कर व्रत का उद्यापन किया।